मित्रों,भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के बारे में कहा जाता रहा है कि उनको वैश्विक कूटनीति की काफी बेहतर समझ थी। कितनी समझ थी ये तो नेहरू ही जानें लेकिन महान नेहरू की महान गलतियों का खामियाजा भारत आज तक भुगत जरूर रहा है। दुर्भाग्यवश बाद में भी जो सरकारें केंद्र में काबिज हुईं उन्होंने भी नेहरूवादी कूटनीति का ही अनुशरण किया। इसलिए हमारे सैनिक मैदान मारते रहे फिर भी हम वार्ता की मेज पर हारते रहे।
मित्रों,पहली बार केंद्र में एक ऐसी सरकार आई है जिसने नेहरूवादी कूटनीति को पूरी तरह से विसर्जित कर बिल्कुल नई तरह की नीति अपनायी है। नेहरू को शायद नोबेल शांति पुरस्कार का लालच था लेकिन नरेंद्र मोदी को अपने देशवासियों से पुरस्कार का भी लालच नहीं है। उनको तो बस वही करना है जो देश के लिए जरूरी है। कुछ लोग उनकी कूटनीति की तुलना बिस्मार्क की विदेशनीति से करते हैं लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता क्योंकि बिस्मार्क विस्तारवाद में विश्वास रखता था और मोदी का मूल मंत्र वैश्विक स्तर पर भी सबका साथ सबका विकास का है।
मित्रों,जो लोग बात-बात पर फीता लेकर मोदी का सीना मापने की बात करते हैं मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि वे बाजार से और भी बड़ा फीता मंगवा लें क्योंकि 56 ईंच वाला फीता अब छोटा पड़ने लगा है। नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान ही अपनी भावी विदेश नीति का संकेत देते हुए कहा था कि हम ऐसा प्रबंध करेंगे कि कोई हमें आँख न दिखाए। साथ ही हम भी किसी को आँख नहीं दिखाएंगे और हर किसी से आँखों में आँखें डालकर बात करेंगे। अपनी इसी नीति पर खूबसूरती से अमल करते हुए एशिया की बिसात को ही पलट कर रख दिया है। आज भारत चीन से घिरा हुआ नहीं है बल्कि चीन भारत से घिरा हुआ है। जिस तरह से चीन के राष्ट्र प्रमुख भारत आने से पहले पाकिस्तान जाते हैं उसी तरह से प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जब दूसरी बार चीन गए तो उससे पहले वियतनाम गए।
जानकारों का कहना है कि साउथ चाइना सागर में चीन के विस्तार के कारण वियतनाम दबाव में है और मोदी के इस कदम को भारत और वियतनाम के बीच बढ़ती दोस्ती और साझेदारी के रूप में देखा जा रहा है। इसी साल जुलाई में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कहा था कि ऐसे कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं हैं कि चीन का इस समुद्र और इसके संसाधनों पर एकाधिकार रहा है। मोदी को लाओस में दक्षिण एशिया शिखर सम्मेलन की बैठक में शिरकत के लिए जाना ही था, लेकिन अगर चीन से जुड़ा पहलू इसमें शामिल है तो ये अच्छा सामरिक संदेश देने का प्रयास है। दशकों से वियतनाम हमारा सैन्य और सामरिक महत्व का सहयोगी रहा है।
हांगझाउ (चीन) में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के उलट पीएम मोदी का भव्य स्वागत हुआ। वहाँ जी-20सम्मेलन के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर बेहद तीखा हमला किया। पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी बोले कि एक देश अकेले ही दक्षिण एशिया में आतंकवादियों के एजेंट फैलाने में जुटा है। पाकिस्तान को शह देने वाले चीन को भी मोदी ने उसी की धरती पर खरी-खरी सुनाई।
दुनिया की 20 ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं के मंच जी-20 के सम्मेलन के अंतिम सत्र में मोदी ने विश्व समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस पर दोहरे मानदंड न अपनाएं। आतंकवाद को समर्थन दे रहे देशों को अलग-थलग करना चाहिए न कि उनका सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर भारत की नीति जीरो टोलरेंस की है, क्योंकि इससे कम कुछ नहीं चलेगा। इससे एक दिन पहले ब्रिक्स देशों से भी मोदी ने आतंकवाद के समर्थक और प्रायोजक देशों को अलग-थलग करने की अपील की थी। उन्होंने चेतावनी भी दी कि आतंकवाद के खिलाफ तमाम देश एकजुट नहीं हुए तो व्यापार और निवेश सब चौपट हो जाएगा। पीएम मोदी ने कहा कि आतंकियों के पास बैंक और हथियारों के कारखाने नहीं होते, ज़ाहिर है कि फंड और हथियार उन्हें कहीं और से मिलते हैं।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 बैठक में भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम कसने के लिए सदस्य देशों से मदद की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रभावी वित्तीय संचालन के लिए भ्रष्टाचार, कालाधन और कर चोरी से निपटना जरूरी है। इसके लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ आर्थिक अपराधियों की सुरक्षित पनाहगाह खत्म करनी होंगी। साथ ही मनी लांड्रिंग करने वालों का बिना शर्त प्रत्यर्पण, जटिल अंतरराष्ट्रीय नियम सरल बनाना और बहुत ज्यादा बैंकिंग गोपनीयता खत्म करने की दिशा में प्रयास जरूरी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग से द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भी आतंकवाद के मुद्दे पर बात की। सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी ने शी जिनपिंग से बातचीत के दौरान NSG यानी न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता का मुद्दा भी उठाया और चीन से अपने रुख पर फिर से विचार करने को कहा। चीन NSG में भारत की सदस्यता का विरोध करता रहा है।
मोदी ने कहा कि आप विश्व का नेतृत्व तो करना चाहते हैं। लेकिन जहां चरमपंथ का सवाल है, ख़ासकार जिस देश के साथ आपके सबसे घनिष्ठ संबंध है, वहां से जो चरमपंथ आ रहा है उस पर आप कुछ नहीं कर रहे हैं। मोदी ने ये भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र में जब हम ये मुद्दा उठाते हैं तो आप उसमें भी बाधा डालते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने चीन और पाकिस्तान के बीच बन रहे आर्थिक कॉरिडोर के कश्मीर क्षेत्र से गुज़रने का मुद्दा भी उठाया।
चीनी नेता ने कहा कि भारत उनके लिए बहुत अहम और इस क्षेत्र का सबसे बड़ा देश है और उसकी बात को हम गंभीरता से लेते हैं।
मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल से द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता बढ़ाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने NSG के मुद्दे पर भारत के समर्थन के लिए ऑस्ट्रेलिया को धन्यवाद भी दिया।
ब्रिक्स की अगली बैठक गोवा में होने वाली है। उससे पहले ये बात उठाने ये संकेत मिल रहे हैं कि भारत यह कोशिश कर रहा है कि गोवा की बैठक में 'आतंकवाद' और पाकिस्तानी घुसपैठ का मुद्दा उठाया जाए।
चीन से लाओस पहुंचने पर आसियान सम्मेलन में भी पीएम ने आतंकवाद पर चोट की और कहा कि आतंक का निर्यात बंद होना ही चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि आसियान इंडिया प्लान ऑफ एक्शन (2016-20) के तहत 54 गतिविधियों को पहले ही लागू किया जा चुका है। उन्होंने बढ़ती हिंसा और आतंकवाद और कट्टरवाद को समाज की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। ये तीसरा मौका है, जब पीएम मोदी इंडिया-आसियान समिट में शामिल हुए और उन्होंने इस बात का जिक्र अपने संबोधन में भी किया।
पीएम मोदी इस समिट के बाद कई देशों के राष्ट्रप्रमुखों से मुलाकात करेंगे, लेकिन इसमें सबसे अहम अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ होने वाली उनकी बैठक है। दोनों नेताओं के बीच विभिन्न क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा किए जाने की संभावना है। व्हाइट हाउस की तरफ से भी इस बात की जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ओबामा लाओस में द्विपक्षीय बैठक करेंगे। पिछले दो सालों में ये मोदी और ओबामा की 8वीं मीटिंग होगी। वैसे, रविवार को चीन में जी20 सम्मेलन से इतर भी प्रधानमंत्री मोदी और ओबामा की बैठक हुई थी।
इसके अलावा पीएम मोदी मेजबान देश के प्रधानमंत्री थोंगलोउन सिसोउलिथ, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति पार्क गुन-हे और म्यांमा की स्टेट काउंसेलर आंग सान सू ची से भी मुलाकात करेंगे। मोदी ने बुधवा को पने जापानी समकक्ष शिंझो आबे के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। भारत और जापान ने आतंकवाद से मुकाबले, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में सहयोग को और अधिक मजबूत करने का संकल्प लिया था। साथ ही मोदी ने आबे से हाल ही में बांग्लादेश में हुए आतंकी हमलों में जापानी नागरिकों के मारे जाने को लेकर संवेदनाएं भी जाहिर कीं। बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथियों ने विदेशियों के बीच मशहूर एक कैफे पर हमला किया था, जिसमें 22 लोग मारे गए थे।
आबे ने कहा कि जापान आतंकवाद के समक्ष घुटने नहीं टेकने वाला है। उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए भारत के साथ सहयोग को और अधिक मजबूत करने की इच्छा जाहिर की। गुरुवार दोपहर को लाओस के प्रधानमंत्री की ओर से आज एक भव्य भोज का आयोजन किया जाएगा। मोदी शाम के समय दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
मित्रों,पहली बार केंद्र में एक ऐसी सरकार आई है जिसने नेहरूवादी कूटनीति को पूरी तरह से विसर्जित कर बिल्कुल नई तरह की नीति अपनायी है। नेहरू को शायद नोबेल शांति पुरस्कार का लालच था लेकिन नरेंद्र मोदी को अपने देशवासियों से पुरस्कार का भी लालच नहीं है। उनको तो बस वही करना है जो देश के लिए जरूरी है। कुछ लोग उनकी कूटनीति की तुलना बिस्मार्क की विदेशनीति से करते हैं लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता क्योंकि बिस्मार्क विस्तारवाद में विश्वास रखता था और मोदी का मूल मंत्र वैश्विक स्तर पर भी सबका साथ सबका विकास का है।
मित्रों,जो लोग बात-बात पर फीता लेकर मोदी का सीना मापने की बात करते हैं मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि वे बाजार से और भी बड़ा फीता मंगवा लें क्योंकि 56 ईंच वाला फीता अब छोटा पड़ने लगा है। नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान ही अपनी भावी विदेश नीति का संकेत देते हुए कहा था कि हम ऐसा प्रबंध करेंगे कि कोई हमें आँख न दिखाए। साथ ही हम भी किसी को आँख नहीं दिखाएंगे और हर किसी से आँखों में आँखें डालकर बात करेंगे। अपनी इसी नीति पर खूबसूरती से अमल करते हुए एशिया की बिसात को ही पलट कर रख दिया है। आज भारत चीन से घिरा हुआ नहीं है बल्कि चीन भारत से घिरा हुआ है। जिस तरह से चीन के राष्ट्र प्रमुख भारत आने से पहले पाकिस्तान जाते हैं उसी तरह से प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जब दूसरी बार चीन गए तो उससे पहले वियतनाम गए।
जानकारों का कहना है कि साउथ चाइना सागर में चीन के विस्तार के कारण वियतनाम दबाव में है और मोदी के इस कदम को भारत और वियतनाम के बीच बढ़ती दोस्ती और साझेदारी के रूप में देखा जा रहा है। इसी साल जुलाई में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कहा था कि ऐसे कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं हैं कि चीन का इस समुद्र और इसके संसाधनों पर एकाधिकार रहा है। मोदी को लाओस में दक्षिण एशिया शिखर सम्मेलन की बैठक में शिरकत के लिए जाना ही था, लेकिन अगर चीन से जुड़ा पहलू इसमें शामिल है तो ये अच्छा सामरिक संदेश देने का प्रयास है। दशकों से वियतनाम हमारा सैन्य और सामरिक महत्व का सहयोगी रहा है।
हांगझाउ (चीन) में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के उलट पीएम मोदी का भव्य स्वागत हुआ। वहाँ जी-20सम्मेलन के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर बेहद तीखा हमला किया। पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी बोले कि एक देश अकेले ही दक्षिण एशिया में आतंकवादियों के एजेंट फैलाने में जुटा है। पाकिस्तान को शह देने वाले चीन को भी मोदी ने उसी की धरती पर खरी-खरी सुनाई।
दुनिया की 20 ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं के मंच जी-20 के सम्मेलन के अंतिम सत्र में मोदी ने विश्व समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस पर दोहरे मानदंड न अपनाएं। आतंकवाद को समर्थन दे रहे देशों को अलग-थलग करना चाहिए न कि उनका सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर भारत की नीति जीरो टोलरेंस की है, क्योंकि इससे कम कुछ नहीं चलेगा। इससे एक दिन पहले ब्रिक्स देशों से भी मोदी ने आतंकवाद के समर्थक और प्रायोजक देशों को अलग-थलग करने की अपील की थी। उन्होंने चेतावनी भी दी कि आतंकवाद के खिलाफ तमाम देश एकजुट नहीं हुए तो व्यापार और निवेश सब चौपट हो जाएगा। पीएम मोदी ने कहा कि आतंकियों के पास बैंक और हथियारों के कारखाने नहीं होते, ज़ाहिर है कि फंड और हथियार उन्हें कहीं और से मिलते हैं।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 बैठक में भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम कसने के लिए सदस्य देशों से मदद की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रभावी वित्तीय संचालन के लिए भ्रष्टाचार, कालाधन और कर चोरी से निपटना जरूरी है। इसके लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ आर्थिक अपराधियों की सुरक्षित पनाहगाह खत्म करनी होंगी। साथ ही मनी लांड्रिंग करने वालों का बिना शर्त प्रत्यर्पण, जटिल अंतरराष्ट्रीय नियम सरल बनाना और बहुत ज्यादा बैंकिंग गोपनीयता खत्म करने की दिशा में प्रयास जरूरी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग से द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भी आतंकवाद के मुद्दे पर बात की। सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी ने शी जिनपिंग से बातचीत के दौरान NSG यानी न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता का मुद्दा भी उठाया और चीन से अपने रुख पर फिर से विचार करने को कहा। चीन NSG में भारत की सदस्यता का विरोध करता रहा है।
मोदी ने कहा कि आप विश्व का नेतृत्व तो करना चाहते हैं। लेकिन जहां चरमपंथ का सवाल है, ख़ासकार जिस देश के साथ आपके सबसे घनिष्ठ संबंध है, वहां से जो चरमपंथ आ रहा है उस पर आप कुछ नहीं कर रहे हैं। मोदी ने ये भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र में जब हम ये मुद्दा उठाते हैं तो आप उसमें भी बाधा डालते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने चीन और पाकिस्तान के बीच बन रहे आर्थिक कॉरिडोर के कश्मीर क्षेत्र से गुज़रने का मुद्दा भी उठाया।
चीनी नेता ने कहा कि भारत उनके लिए बहुत अहम और इस क्षेत्र का सबसे बड़ा देश है और उसकी बात को हम गंभीरता से लेते हैं।
मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल से द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता बढ़ाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने NSG के मुद्दे पर भारत के समर्थन के लिए ऑस्ट्रेलिया को धन्यवाद भी दिया।
ब्रिक्स की अगली बैठक गोवा में होने वाली है। उससे पहले ये बात उठाने ये संकेत मिल रहे हैं कि भारत यह कोशिश कर रहा है कि गोवा की बैठक में 'आतंकवाद' और पाकिस्तानी घुसपैठ का मुद्दा उठाया जाए।
चीन से लाओस पहुंचने पर आसियान सम्मेलन में भी पीएम ने आतंकवाद पर चोट की और कहा कि आतंक का निर्यात बंद होना ही चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि आसियान इंडिया प्लान ऑफ एक्शन (2016-20) के तहत 54 गतिविधियों को पहले ही लागू किया जा चुका है। उन्होंने बढ़ती हिंसा और आतंकवाद और कट्टरवाद को समाज की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। ये तीसरा मौका है, जब पीएम मोदी इंडिया-आसियान समिट में शामिल हुए और उन्होंने इस बात का जिक्र अपने संबोधन में भी किया।
पीएम मोदी इस समिट के बाद कई देशों के राष्ट्रप्रमुखों से मुलाकात करेंगे, लेकिन इसमें सबसे अहम अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ होने वाली उनकी बैठक है। दोनों नेताओं के बीच विभिन्न क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा किए जाने की संभावना है। व्हाइट हाउस की तरफ से भी इस बात की जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ओबामा लाओस में द्विपक्षीय बैठक करेंगे। पिछले दो सालों में ये मोदी और ओबामा की 8वीं मीटिंग होगी। वैसे, रविवार को चीन में जी20 सम्मेलन से इतर भी प्रधानमंत्री मोदी और ओबामा की बैठक हुई थी।
इसके अलावा पीएम मोदी मेजबान देश के प्रधानमंत्री थोंगलोउन सिसोउलिथ, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति पार्क गुन-हे और म्यांमा की स्टेट काउंसेलर आंग सान सू ची से भी मुलाकात करेंगे। मोदी ने बुधवा को पने जापानी समकक्ष शिंझो आबे के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। भारत और जापान ने आतंकवाद से मुकाबले, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में सहयोग को और अधिक मजबूत करने का संकल्प लिया था। साथ ही मोदी ने आबे से हाल ही में बांग्लादेश में हुए आतंकी हमलों में जापानी नागरिकों के मारे जाने को लेकर संवेदनाएं भी जाहिर कीं। बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथियों ने विदेशियों के बीच मशहूर एक कैफे पर हमला किया था, जिसमें 22 लोग मारे गए थे।
आबे ने कहा कि जापान आतंकवाद के समक्ष घुटने नहीं टेकने वाला है। उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए भारत के साथ सहयोग को और अधिक मजबूत करने की इच्छा जाहिर की। गुरुवार दोपहर को लाओस के प्रधानमंत्री की ओर से आज एक भव्य भोज का आयोजन किया जाएगा। मोदी शाम के समय दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
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