मित्रों,
जबसे हमने नरेन्द्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया है तभी से वे
स्वच्छता पर जोर दे रहे हैं. नेताओं ने हम लोगों को चूंकि चुनाव-दर-चुनाव
खूब चकमा दिया है इसलिए हमलोग उनकी बातों को जरा हलके में लेते हैं सो हमें
लगा कि मोदी सिर्फ बाहरी साफ़-सफाई की बात कर रहे हैं. लेकिन वास्तविकता
में ऐसा था नहीं.
मित्रों,
वास्तविकता तो यह थी कि प्रधानमंत्री का आशय हर तरह की स्वच्छता से था फिर
चाहे वो सामाजिक, लैंगिक, मानसिक, आर्थिक, शारीरिक, धार्मिक या नैतिक
स्वच्छता हो या फिर राजनैतिक. हर पहल की शुरुआत अपने आपसे या अपने घर से
होनी चाहिए इसलिए राजनैतिक दलों को मिलनेवाले चंदे को अधिक पारदर्शी बनाया
गया. हालाँकि अभी भी स्थिति संतोषजनक नहीं है. अलावा इसके राजनैतिक दलों को
आरटीआई के अंतर्गत लाना शेष है. अर्थव्यवस्था में व्याप्त काले धन की सफाई
के लिए पहले नोटबंदी लागू की गई फिर जीएसटी लाई गई. मानसिक, सामाजिक व
लैंगिक क्षेत्र में स्वच्छ वातावरण बनाने के लिए लाखों पोर्न साईटों पर रोक
लगाई गई, खुले में शौच और भ्रूणहत्या के खिलाफ अभियान चलाया गया और ३ तलाक
व हलाला की १४०० साल पुरानी सडी-गली अमानवीय बेहूदा प्रथा को समाप्त किया
गया. शारीरिक व मानसिक स्वच्छता के लिए योग को बढ़ावा दिया गया. धार्मिक या
नैतिक स्वच्छता की स्थापना के लिए पहले आसाराम फिर जाकिर नाईक फिर रामपाल
और अब बाबा राम रहीम सिंह जैसे पाखंड के साम्राज्य चलानेवालों के खिलाफ
सख्त कार्रवाई की गई.
मित्रों,
आज तक भारत के इतिहास में कभी भी किसी भी ऐसे नेता जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार
के मामले चल रहे हों या सजा मिल चुकी हो की संपत्ति जब्त नहीं की गई थी.
भारत के इतिहास में पहली बार बेहिसाब बेनामी संपत्ति अर्जित करनेवाले
नेताओं के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई शुरू की गई है. हालाँकि अभी तक निशाने
पर सिर्फ विपक्षी नेता ही हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि सृजन घोटाले की भी
निष्पक्ष जाँच की जाएगी और सारे दोषियों पर कार्रवाई करते हुए लूटे गए धन
की वापसी की जाएगी फिर चाहे दोषी जीवित हो या मृत या फिर बिहार का वर्तमान
मुख्यमंत्री ही क्यों न हो. कश्मीर में आतंकियों और आतंकवाद की चल रही सफाई
के बारे में तो आपको पता होगा ही.
मित्रों,
इस पूरे शाब्दिक व्यायाम का सारांश यह है कि नरेन्द्र मोदी का स्वच्छता
कार्यक्रम चालू है जिसके परिणामस्वरुप वयोवृद्ध माँ भारती के चेहरे पर
निखार आना निश्चित है. आज ही खबर आई है कि चीन डोकलाम से अपनी सेना वापस करने के लिए तैयार हो गया है. यह भी सही है कि इस दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना
शेष है लेकिन जिस तेजी से सब कुछ किया जा रहा है बहुत जल्द यह बहुत कुछ
कुछ-कुछ रह जानेवाला है इसमें संदेह नहीं. महाकवि गजानन माधव मुक्तिबोध ने
कहा था कि
छल-छद्म धन की किन्तु मैं
सीधी-सादी पटरी-पटरी दौड़ा हूँ जीवन की
फिर भी मैं अपनी सार्थकता से खिन्न हूँ
विष से अप्रसन्न हूँ
इसलिए कि जो है उससे बेहतर चाहिए
पूरी दुनिया साफ़ करने के लिए मेहतर चाहिए.
हमारा
सौभाग्य है कि हमें वो मेहतर मिल गया है. वो हमसे कुछ नहीं चाहता सिर्फ
हमारा प्यार, हमारा समर्थन चाहता है. हम तो आज भी उसके साथ हैं क्या आप
हैं?