मित्रों, इन दिनों भारत के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. चारों राज्यों में भाजपा और कांग्रेस में मुकाबला है. आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है. इन दिनों सौभाग्यवश भाजपाइयों की तरफ से बदजुबानी नहीं हो रही मगर कांग्रेस की ओर से उटपटांग बयानों की जैसे बाढ़ आई हुई है. कभी शशि थरूर तो कभी कमलनाथ और कभी नवजोत सिंह सिद्धू. कमलनाथ महिलाओं के खिलाफ बयान दे रहे तो सिद्धू को जैसे पता ही नहीं है कि गोधरा में ट्रेन को भाजपाइयों ने नहीं कांग्रेसियों ने जलाया था.
मित्रों, इस बीच एक और घटना ने देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है और वह है पंजाब में आतंकी घटना. विदित हो कि इन दिनों पंजाब में कांग्रेस पार्टी की सरकार है. फिर ऐसा क्यों है कि जो पंजाब पिछले १० सालों से शांत था कांग्रेस की सरकार आते ही वहां आतंकी घुसपैठ होने लगी? वैसे भी कांग्रेस का पाकिस्तान-प्रेम सर्वविदित है. तो क्या हम उम्मीद रखें कि जिन-जिन राज्यों में निकट भविष्य में कांग्रेस की सरकार बनेगी उन सभी राज्यों में पाकिस्तान-समर्थित आतंकवादी घटनाएँ देखने को मिलेंगी?
मित्रों, बांकी मोर्चों पर भले ही मोदी सरकार का रिकॉर्ड उतना अच्छा नहीं रहा हो मगर इसे आतंकवाद और माओवाद पर लगाम लगाने में सफलता जरूर मिली है. इन दिनों जिस तरह कश्मीर में आतंकवाद से लड़ा जा रहा है ऐसे अगर १९९० के दशक में लड़ा गया होता तो कदाचित वहां आतकवाद पैदा ही नहीं हुआ होता फलने-फूलने की तो बात ही दूर रही.
मित्रों, इन चुनावों में कांग्रेस ने जो घोषणापत्र जारी किए हैं उनसे उसकी वैचारिक दीनता ही प्रदर्शित हो रही है. यह फ्री में देंगे तो वह फ्री में देंगे. बस इससे आगे कुछ भी नहीं. क्या फ्री में सबकुछ दे देने और कर्ज माफ़ कर देने से किसानों की स्थिति सुधर जाएगी? अगर ऐसे सुधरनी होती तो बहुत पहले सुधर गयी होती और वे हवाई जहाज से चल रहे होते न कि आत्महत्या कर रहे होते.
मित्रों, इन दिनों राफेल डील को लेकर कांग्रेस काफी मुखर है जबकि सरकार द्वारा इस मामले में ज्यादातर सवालों का जवाब दिया जा चुका है और ऐसा लगता है कि कुल मिलाकर वैसी कोई गड़बड़ी इस मामले में हुई नहीं है जैसा कि आरोपों में साबित करने की कोशिश चल रही है. बल्कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस नहीं चाहती कि भारत की सेना मजबूत हो और चीन के आगे ताल ठोंककर खडी हो. इन दिनों मालदीव और श्रीलंका से भी हमारे लिए उत्साहजनक समाचार आ रहे हैं जिससे हिंदमहासागर में भारत को घेरने की राहुल गाँधी के प्रिय चीन की कुत्सित मंशा को आघात लगा है. मोदी की पाकिस्तान नीति भी शानदार रही है जिससे पाकिस्तान आज दुनिया में नीलामी पर चढ़े देश के रूप में जाना जाता है.
मित्रों, नोटबंदी और जीएसटी का जहाँ तक सवाल है तो इनके दुष्परिणाम भी रहे और सद्परिणाम भी. इनसे विकास दर घटी और बेरोजगारी बढ़ी तो वहीँ कर वसूली और कर दाताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई. भ्रष्टाचार और कालेधन के मोर्चे पर भी यह सरकार अब तक सफल नहीं दिख रही. फिर भी देश का विश्वास अभी भी भाजपा में ही है क्योंकि देश का कुछ भला करेगी तो भाजपा ही करेगी कांग्रेस तो सिर्फ घोटाले कर सकती है और इसके साथ ही चीन-पाकिस्तान और कश्मीरी आतंकवादियों के साथ गलबहियां भी. एक मंदबुद्धि और पोप के पीडी से हम उम्मीद भी क्या कर सकते हैं?
मित्रों, इस बीच एक और घटना ने देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है और वह है पंजाब में आतंकी घटना. विदित हो कि इन दिनों पंजाब में कांग्रेस पार्टी की सरकार है. फिर ऐसा क्यों है कि जो पंजाब पिछले १० सालों से शांत था कांग्रेस की सरकार आते ही वहां आतंकी घुसपैठ होने लगी? वैसे भी कांग्रेस का पाकिस्तान-प्रेम सर्वविदित है. तो क्या हम उम्मीद रखें कि जिन-जिन राज्यों में निकट भविष्य में कांग्रेस की सरकार बनेगी उन सभी राज्यों में पाकिस्तान-समर्थित आतंकवादी घटनाएँ देखने को मिलेंगी?
मित्रों, बांकी मोर्चों पर भले ही मोदी सरकार का रिकॉर्ड उतना अच्छा नहीं रहा हो मगर इसे आतंकवाद और माओवाद पर लगाम लगाने में सफलता जरूर मिली है. इन दिनों जिस तरह कश्मीर में आतंकवाद से लड़ा जा रहा है ऐसे अगर १९९० के दशक में लड़ा गया होता तो कदाचित वहां आतकवाद पैदा ही नहीं हुआ होता फलने-फूलने की तो बात ही दूर रही.
मित्रों, इन चुनावों में कांग्रेस ने जो घोषणापत्र जारी किए हैं उनसे उसकी वैचारिक दीनता ही प्रदर्शित हो रही है. यह फ्री में देंगे तो वह फ्री में देंगे. बस इससे आगे कुछ भी नहीं. क्या फ्री में सबकुछ दे देने और कर्ज माफ़ कर देने से किसानों की स्थिति सुधर जाएगी? अगर ऐसे सुधरनी होती तो बहुत पहले सुधर गयी होती और वे हवाई जहाज से चल रहे होते न कि आत्महत्या कर रहे होते.
मित्रों, इन दिनों राफेल डील को लेकर कांग्रेस काफी मुखर है जबकि सरकार द्वारा इस मामले में ज्यादातर सवालों का जवाब दिया जा चुका है और ऐसा लगता है कि कुल मिलाकर वैसी कोई गड़बड़ी इस मामले में हुई नहीं है जैसा कि आरोपों में साबित करने की कोशिश चल रही है. बल्कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस नहीं चाहती कि भारत की सेना मजबूत हो और चीन के आगे ताल ठोंककर खडी हो. इन दिनों मालदीव और श्रीलंका से भी हमारे लिए उत्साहजनक समाचार आ रहे हैं जिससे हिंदमहासागर में भारत को घेरने की राहुल गाँधी के प्रिय चीन की कुत्सित मंशा को आघात लगा है. मोदी की पाकिस्तान नीति भी शानदार रही है जिससे पाकिस्तान आज दुनिया में नीलामी पर चढ़े देश के रूप में जाना जाता है.
मित्रों, नोटबंदी और जीएसटी का जहाँ तक सवाल है तो इनके दुष्परिणाम भी रहे और सद्परिणाम भी. इनसे विकास दर घटी और बेरोजगारी बढ़ी तो वहीँ कर वसूली और कर दाताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई. भ्रष्टाचार और कालेधन के मोर्चे पर भी यह सरकार अब तक सफल नहीं दिख रही. फिर भी देश का विश्वास अभी भी भाजपा में ही है क्योंकि देश का कुछ भला करेगी तो भाजपा ही करेगी कांग्रेस तो सिर्फ घोटाले कर सकती है और इसके साथ ही चीन-पाकिस्तान और कश्मीरी आतंकवादियों के साथ गलबहियां भी. एक मंदबुद्धि और पोप के पीडी से हम उम्मीद भी क्या कर सकते हैं?
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