मित्रों, हमारे गाँव में एक बच्चा था. पढने-लिखने में भोंदू मगर बात बनाने में होशियार. जाहिर है कि घर के लोग उससे परेशान रहते थे. एक दिन पढाई के लिए बहुत दबाव पड़ने पर उसने कहा कि जब घर के सारे लोग सो जाएंगे तब वो पढ़ेगा. कल होकर उसके पिता ने पूछा कि रात तूने पढ़ा क्यों नहीं. उसने कहा आपको पता कैसे चला. पिता ने कहा कि मैं रजाई में जगा हुआ था. बेटे ने तुरंत कहा कि मैंने तो कहा था कि जब सब सो जाएँगे तब मैं पढूंगा.
मित्रों, मेरी इस हास्यास्पद कहानी का सीधा-सीधा सम्बन्ध राहुल गाँधी के उस बयान से है जिसमें उन्होंने कहा है कि मनमोहन सिंह ने भी पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया था लेकिन किसी को इसके बारे में पता नहीं है. पता नहीं कि मनमोहन को भी इस बारे में पता है या नहीं है. शायद सेना को भी पता नहीं होगा कि उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक किया है क्योंकि राहुल गाँधी फरमा रहे हैं कि इसके बारे में किसी को पता ही नहीं है.
मित्रों, जब मनमोहन सिंह १९९१ में वित्त मंत्री बने थे तब भी उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक किया था. फिर प्रधानमंत्री बने तब भी किया. वो इस तरह कि सेना का आधुनिकीकरण रोक दिया. सीमावर्ती इलाकों में सड़कों,रेल लाइनों और हवाई अड्डों का निर्माण रोक दिया. यहाँ तक कि जम्मू और कश्मीर में सीआरपीएफ के जवानों को डंडे लेकर ड्यूटी करने के लिए मजबूर किया गया ताकि उनकी हत्या करने में कांग्रेस के हितैषी आतंकवादियों को किसी तरह की परेशानी न हो. सेना को न तो बुलेट प्रूफ जैकेट दिए और न ही नाईट विजन यन्त्र.
मित्रों, मुबई का आतंकी हमला तो आपको भी याद होगा जब कांग्रेस पार्टी ने आरएसएस पर यह हमला करवाने के आरोप लगाए थे. वो तो भला हो तुकाराम का कि उसने जान देकर भी कसाब को पकड़ लिया वरना पता ही नहीं चलता कि इसके पीछे उसी पाकिस्तान का हाथ है जिसके हाथों में कांग्रेस का हाथ है. वैसे अगर राहुल गाँधी चाहें तो दिल्ली और मुंबई की २००५ और २००८ की आतंकी घटनाओं को कांग्रेस सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में गिना सकते हैं. हम वादा करते हैं कि हम उनको कुछ नहीं कहेंगे. उन पर हँसेंगे भी नहीं.
मित्रों, मनमोहन सरकार के समय तो कांग्रेस नेताओं के ड्राइंग रूम तक कश्मीर के आतंकवादियों की सीधी पहुँच थी, इनके नेता आज भी बार-बार चुनाव जीतने में सहायता मांगने पाकिस्तान जाते हैं और लौटकर बड़े गर्व से कहते हैं कि उनको तो स्वयं राहुल गाँधी ने भेजा था, इनके नेता याकूब की फांसी रुकवाने के लिए रात के २ बजे सुप्रीम कोर्ट पहुँच जाते हैं और इन्होंने किया था सर्जिकल स्ट्राइक? झूठ की भी एक हद होती है. इनके झूठ पर तो शायद शर्म को भी शर्म आ रही होगी.
मित्रों, वैसे हमें यह देखकर ख़ुशी भी हो रही है कि राहुल गाँधी अब जमकर झूठ बोलने और नाटक करने लगे हैं जबकि हम उन्हें मंदबुद्धि समझते रहे. निश्चित रूप से यह उनके मानसिक विकास का परिचायक है. तो क्या अब हम उनकी तुलना अपने गाँव के उस बच्चे से कर सकते हैं जिसकी चर्चा हमने पहले पैराग्राफ में की है? जरूर जवाब दीजिएगा. आपके जवाब का इंतजार रहेगा.
मित्रों, मेरी इस हास्यास्पद कहानी का सीधा-सीधा सम्बन्ध राहुल गाँधी के उस बयान से है जिसमें उन्होंने कहा है कि मनमोहन सिंह ने भी पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया था लेकिन किसी को इसके बारे में पता नहीं है. पता नहीं कि मनमोहन को भी इस बारे में पता है या नहीं है. शायद सेना को भी पता नहीं होगा कि उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक किया है क्योंकि राहुल गाँधी फरमा रहे हैं कि इसके बारे में किसी को पता ही नहीं है.
मित्रों, जब मनमोहन सिंह १९९१ में वित्त मंत्री बने थे तब भी उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक किया था. फिर प्रधानमंत्री बने तब भी किया. वो इस तरह कि सेना का आधुनिकीकरण रोक दिया. सीमावर्ती इलाकों में सड़कों,रेल लाइनों और हवाई अड्डों का निर्माण रोक दिया. यहाँ तक कि जम्मू और कश्मीर में सीआरपीएफ के जवानों को डंडे लेकर ड्यूटी करने के लिए मजबूर किया गया ताकि उनकी हत्या करने में कांग्रेस के हितैषी आतंकवादियों को किसी तरह की परेशानी न हो. सेना को न तो बुलेट प्रूफ जैकेट दिए और न ही नाईट विजन यन्त्र.
मित्रों, मुबई का आतंकी हमला तो आपको भी याद होगा जब कांग्रेस पार्टी ने आरएसएस पर यह हमला करवाने के आरोप लगाए थे. वो तो भला हो तुकाराम का कि उसने जान देकर भी कसाब को पकड़ लिया वरना पता ही नहीं चलता कि इसके पीछे उसी पाकिस्तान का हाथ है जिसके हाथों में कांग्रेस का हाथ है. वैसे अगर राहुल गाँधी चाहें तो दिल्ली और मुंबई की २००५ और २००८ की आतंकी घटनाओं को कांग्रेस सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में गिना सकते हैं. हम वादा करते हैं कि हम उनको कुछ नहीं कहेंगे. उन पर हँसेंगे भी नहीं.
मित्रों, मनमोहन सरकार के समय तो कांग्रेस नेताओं के ड्राइंग रूम तक कश्मीर के आतंकवादियों की सीधी पहुँच थी, इनके नेता आज भी बार-बार चुनाव जीतने में सहायता मांगने पाकिस्तान जाते हैं और लौटकर बड़े गर्व से कहते हैं कि उनको तो स्वयं राहुल गाँधी ने भेजा था, इनके नेता याकूब की फांसी रुकवाने के लिए रात के २ बजे सुप्रीम कोर्ट पहुँच जाते हैं और इन्होंने किया था सर्जिकल स्ट्राइक? झूठ की भी एक हद होती है. इनके झूठ पर तो शायद शर्म को भी शर्म आ रही होगी.
मित्रों, वैसे हमें यह देखकर ख़ुशी भी हो रही है कि राहुल गाँधी अब जमकर झूठ बोलने और नाटक करने लगे हैं जबकि हम उन्हें मंदबुद्धि समझते रहे. निश्चित रूप से यह उनके मानसिक विकास का परिचायक है. तो क्या अब हम उनकी तुलना अपने गाँव के उस बच्चे से कर सकते हैं जिसकी चर्चा हमने पहले पैराग्राफ में की है? जरूर जवाब दीजिएगा. आपके जवाब का इंतजार रहेगा.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें