मित्रों, यकीन मानिए और मेरे आलेख गवाह हैं कि मैंने कभी भी राहुल गाँधी के राफेल को लेकर मचाए जा रहे शोर पर रंच मात्र भी यकीन नहीं किया. बल्कि हमेशा कहा कि राहुल और उनकी पार्टी चीन और पाकिस्तान के रिमोट से संचालित होकर इसलिए इस मामले में शोर मचा रहे हैं जिससे मोदी सरकार भारतीय सेना के सशक्तीकरण के महती कार्य को रोक दे. आज हमारे लिए प्रचंड ख़ुशी का अवसर है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मोदी सरकार को यह कहते हुए कि राफेल डील में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है हमारी आशंकाओं को सही साबित कर दिया है. अब तो हम इतना ही कह सकते हैं कि काश यह फैसला एक महीने पहले आ गया होता तो भारत के तीन बहुमूल्य राज्य चोरों के कब्जे में जाने से बच जाते. फिर भी हमें इस बात का संतोष है कि देर आयद मगर दुरुस्त आयद.
मित्रों, इन दिनों देश संक्रमण काल से गुजर रहा है. एक तरफ देश के सारे घोटालेबाज जमा हैं और दूसरी तरफ है राष्ट्रवादी सरकार जिसकी नीतियाँ गलत हो सकती हैं लेकिन नीयत नहीं. हालाँकि नीतियों को भी गलत नहीं होना चाहिए क्योंकि इनसे देश को गंभीर नुकसान हो सकता है और हो भी रहा है लेकिन कोई अगर इस पर ऐसे आरोप लगाए कि चौकीदार चोर है और वो भी आधारहीन हवा-हवाई घोटाले को लेकर जो हुआ ही नहीं तो सिवाय इसके और क्या कहा जा सकता है कि चोर मचाए शोर.
मित्रों, हमारे एक बहुत-बहुत दूर के गरीब चाचाजी के साथ एक बार ट्रेन में अजीबोगरीब घटना घटी. हुआ यूं कि एक पॉकेटमार ने जैसे ही उनकी जेब से बटुआ निकाला उन्होंने उसका हाथ पकड़ लिया. लेकिन पॉकेटमार भी कम सयाना न था. उसने उल्टे पॉकेटमार-पॉकेटमार चिल्लाते हुए चाचाजी को ही फंसाना चाहा. गजब तो यह कि यात्री भी उसके झांसे में आ गए और चाचाजी को ही पीटने पर उतारू हो गए. वो तो भला हो उस बटुए का जिसमें चाचाजी की मय परिवारसहित तस्वीर थी वर्ना बेचारे का तो तभी राम नाम सत्त हो जाता. खैर किसी तरह राम जी की कृपा से चाचाजी की जान बच गयी और फिर पॉकेटमार की बिना साबुन-पानी के जमकर धुलाई हुई.
मित्रों, मेरी इस कहानी का कतई सीधा-सीधा सम्बन्ध राहुल गाँधी और मोदी सरकार से है. मेरी कहानी में तो एक ही पॉकेटमार थे यहाँ तो महागठबंधन में उनकी पूरी फ़ौज ही है. तो क्या हम अपने जान से प्यारे देश को फिर से ५-१०-१५-२० सालों के लिए पॉकेटमारों के हवाले कर देंगे जिन्होंने अभी ५ साल पहले तक घोटालों की पूरी अल्फ़ाबेट ही तैयार कर दी थी? अभी तो चोर-पॉकेटमार और भी बहुत शोर मचानेवाले हैं क्योंकि उनको पता है कि हम कहानीवाले ट्रेन के यात्रियों की तरह बहुत भोले-भाले हैं.
मित्रों, मैं यह नहीं कहता कि मोदी सरकार में कोई कमी नहीं है लेकिन उन कमियों को दूर भी तो किया जा सकता है. पता नहीं क्यों मुझे अभी भी पूरा यकीन है कि मोदी सरकार अपने बचे-खुचे समय का पूर्ण सदुपयोग करेगी और हमारी निराशा को दूर करने के अथक और विराट प्रयास करेगी न कि सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस को गरियाने का काम करेगी. अगर अपने और ऊपरवाले पर अटल विश्वास हो तो इस सरकार के पास जितना भी समय शेष है उसी में यह वे सारे काम कर सकती है जो वो आज तक नहीं कर सकी या इस सरकार ने जानबूझकर अज्ञात कारणों से नहीं किए मगर जिनका होना देशहित के लिए अत्यंत आवश्यक है. फिर से गिनाना अगर जरूरी है तो यूं ही सही-अनुच्छेद ३७० समाप्त करना, समान नागरिक संहिता लागू करना, जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना, एससी-एसटी कानून को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार पूर्ववत करना, प्रोन्नति में आरक्षण को समाप्त करना और मायावती जी के सुझावों पर अमल करते हुए आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करना इत्यादि. माफ़ करिएगा लिस्ट अधूरी छोड़ रहा हूँ आपके भरोसे कि आपलोग इसे फुरसत में पूरा कर देंगे. फिलहाल तो लगाईए नारा चौकीदार चोर नहीं है चोर ही चोर हैं. चौकीदार चोर नहीं ........
मित्रों, अंत में मैं अपनी आदत से मजबूर होकर मोदी जी को मुफ्त में एक सलाह देना चाहूँगा कि कोई बात जब समझ में न आए तो किसी ज्ञानी मानव से जो उन मामलों का विशेषज्ञ हो सलाह ले लें क्योंकि देश कोई मरे हुए इन्सान या जानवर की लाश नहीं है जिस पर कोई चीर-फाड़ कर तजुर्बा करे. देश की जान जा सकती है, देश नीम बेहोशी में जा सकता है यार.
मित्रों, इन दिनों देश संक्रमण काल से गुजर रहा है. एक तरफ देश के सारे घोटालेबाज जमा हैं और दूसरी तरफ है राष्ट्रवादी सरकार जिसकी नीतियाँ गलत हो सकती हैं लेकिन नीयत नहीं. हालाँकि नीतियों को भी गलत नहीं होना चाहिए क्योंकि इनसे देश को गंभीर नुकसान हो सकता है और हो भी रहा है लेकिन कोई अगर इस पर ऐसे आरोप लगाए कि चौकीदार चोर है और वो भी आधारहीन हवा-हवाई घोटाले को लेकर जो हुआ ही नहीं तो सिवाय इसके और क्या कहा जा सकता है कि चोर मचाए शोर.
मित्रों, हमारे एक बहुत-बहुत दूर के गरीब चाचाजी के साथ एक बार ट्रेन में अजीबोगरीब घटना घटी. हुआ यूं कि एक पॉकेटमार ने जैसे ही उनकी जेब से बटुआ निकाला उन्होंने उसका हाथ पकड़ लिया. लेकिन पॉकेटमार भी कम सयाना न था. उसने उल्टे पॉकेटमार-पॉकेटमार चिल्लाते हुए चाचाजी को ही फंसाना चाहा. गजब तो यह कि यात्री भी उसके झांसे में आ गए और चाचाजी को ही पीटने पर उतारू हो गए. वो तो भला हो उस बटुए का जिसमें चाचाजी की मय परिवारसहित तस्वीर थी वर्ना बेचारे का तो तभी राम नाम सत्त हो जाता. खैर किसी तरह राम जी की कृपा से चाचाजी की जान बच गयी और फिर पॉकेटमार की बिना साबुन-पानी के जमकर धुलाई हुई.
मित्रों, मेरी इस कहानी का कतई सीधा-सीधा सम्बन्ध राहुल गाँधी और मोदी सरकार से है. मेरी कहानी में तो एक ही पॉकेटमार थे यहाँ तो महागठबंधन में उनकी पूरी फ़ौज ही है. तो क्या हम अपने जान से प्यारे देश को फिर से ५-१०-१५-२० सालों के लिए पॉकेटमारों के हवाले कर देंगे जिन्होंने अभी ५ साल पहले तक घोटालों की पूरी अल्फ़ाबेट ही तैयार कर दी थी? अभी तो चोर-पॉकेटमार और भी बहुत शोर मचानेवाले हैं क्योंकि उनको पता है कि हम कहानीवाले ट्रेन के यात्रियों की तरह बहुत भोले-भाले हैं.
मित्रों, मैं यह नहीं कहता कि मोदी सरकार में कोई कमी नहीं है लेकिन उन कमियों को दूर भी तो किया जा सकता है. पता नहीं क्यों मुझे अभी भी पूरा यकीन है कि मोदी सरकार अपने बचे-खुचे समय का पूर्ण सदुपयोग करेगी और हमारी निराशा को दूर करने के अथक और विराट प्रयास करेगी न कि सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस को गरियाने का काम करेगी. अगर अपने और ऊपरवाले पर अटल विश्वास हो तो इस सरकार के पास जितना भी समय शेष है उसी में यह वे सारे काम कर सकती है जो वो आज तक नहीं कर सकी या इस सरकार ने जानबूझकर अज्ञात कारणों से नहीं किए मगर जिनका होना देशहित के लिए अत्यंत आवश्यक है. फिर से गिनाना अगर जरूरी है तो यूं ही सही-अनुच्छेद ३७० समाप्त करना, समान नागरिक संहिता लागू करना, जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना, एससी-एसटी कानून को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार पूर्ववत करना, प्रोन्नति में आरक्षण को समाप्त करना और मायावती जी के सुझावों पर अमल करते हुए आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करना इत्यादि. माफ़ करिएगा लिस्ट अधूरी छोड़ रहा हूँ आपके भरोसे कि आपलोग इसे फुरसत में पूरा कर देंगे. फिलहाल तो लगाईए नारा चौकीदार चोर नहीं है चोर ही चोर हैं. चौकीदार चोर नहीं ........
मित्रों, अंत में मैं अपनी आदत से मजबूर होकर मोदी जी को मुफ्त में एक सलाह देना चाहूँगा कि कोई बात जब समझ में न आए तो किसी ज्ञानी मानव से जो उन मामलों का विशेषज्ञ हो सलाह ले लें क्योंकि देश कोई मरे हुए इन्सान या जानवर की लाश नहीं है जिस पर कोई चीर-फाड़ कर तजुर्बा करे. देश की जान जा सकती है, देश नीम बेहोशी में जा सकता है यार.
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