मित्रों, यह आप भी जानते हैं कि पाकिस्तान हमेशा से भारत के मुकाबले कमजोर देश रहा है लेकिन अपनी शातिराना कूटनीति के बल पर उसने हमेशा भारत को परेशान किया है. अगर मैं ऐसा कहूं कि भारत और दुनिया के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है या हो रहा है कि पाकिस्तान भारत के मुकाबले कूटनीति के मोर्चे पर कहीं ठहर ही नहीं पा रहा है तो ऐसा कहना कहीं से भी अतिशयोक्ति नहीं होगी.
मित्रों, ऐसा हो भी क्यों नहीं जबकि पाकिस्तान में इन दिनों वहां के सबसे बड़े पप्पू का शासन है. मुझे आश्चर्य हो रहा है कि पाकिस्तान के लोग क्या पागल हैं जो एक बेदिमागी, दिमागी तौर पर पूरी तरह से दिवालिया व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना दिया. मैं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की इस मांग से पूरी तरह से सहमत हूँ कि इमरान खान के विदेश दौरों पर पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए. यह आदमी जब भी विदेश दौरे पर जाता है पाकिस्तान के हितों के खिलाफ बयान देकर खुद अपने ही देश को नुकसान पहुंचाता है. ये कभी कहता है कि पाकिस्तान आतंकियों का देश है, तो कभी कहता है कि पाकिस्तान ने अल कायदा को जन्म दिया तो कभी कहता है कि डेढ़ सौ करोड़ मुसलमान कभी भी हथियार उठा सकते हैं तो कभी कहता है कि नरेन्द्र मोदी भारत के राष्ट्रपति हैं. इतना ही नहीं इसने कई बार भारत में अपनी सबसे बड़ी समर्थक पार्टी कांग्रेस को भी उलझन में डाल दिया है. अभी कल के भाषण को ही लें तो इसने आरएसएस को लांछित करने के चक्कर में कांग्रेस को ही फंसा दिया. मैं यह भी नहीं समझ पा रहा हूँ कि आखिर आरएसएस से इमरान या कांग्रेस को समस्या क्यों है? भारत के पप्पू भी पाकिस्तान के पप्पू की तरह प्रत्येक चुनाव में नहा-धोकर आरएसएस के पीछे पड़े रहते हैं जबकि आरएसएस पूरी तरह से एक सामाजिक व सांस्कृतिक संगठन है. आरएसएस ने कभी भी किसी आपराधिक कृत्य में न तो भाग लिया है, न ही इसके लिए उकसाया है और न ही किसी आपराधिक कृत्य का समर्थन किया है. हाँ, उसने हिन्दुओं को सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति आगाह जरूर किया है. साथ ही किसी भी आपदा के समय सबसे पहले इसी के कार्यकर्ता लोगों की मदद करने आते हैं और बिना जाति-पंथ का ख्याल किए लोगों की सहायता करते हैं.
मित्रों, इमरान खान की पार्टी का नाम तहरीके इंसाफ जरूर है लेकिन यह आदमी कहीं से भी इंसाफपसंद नहीं है. इसकी सारी इंसानियत सिर्फ मुसलमानों के लिए है और जब पाकिस्तान में किसी गैरमुसलमान की बेटी को अगवा कर लिया जाता है और जबरन मुसलमान बना दिया जाता है तब इसका इंसाफ घास चरने चला जाता है. यह आदमी दुनिया के सबसे बर्बर और सबसे घनघोर स्त्री-विरोधी संगठन तालिबान का इतना बड़ा प्रशंसक है कि कई लोग इसे तालिबान खान कहकर ही पुकारते हैं. इसका मानना है कि तालिबान अब बदल गया है ठीक वैसे ही जैसे इसके प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान बदल गया है. पता नहीं यह आदमी गांजा पीता है या भांग घोंटता है या ड्रग्स लेता है लेकिन कुछ-न-कुछ लेता जरूर है.
मित्रों, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमने पिछले चुनाव में अपने देश को अपने पप्पू के हवाले नहीं किया वरना वो भी वही कुछ कर रहा होता जो इमरान कर रहे हैं. हालाँकि हमारा पप्पू भी जब भी विदेश जाता है अपने बयानों से भारत का नुकसान करता है लेकिन वो उससे कहीं ज्यादा नुकसान खुद का और खुद की पार्टी का करता है.
मित्रों, इमरान के मुकाबले अगर हम अपने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की अमेरिका यात्रा को देखें तो उन्होंने हमेशा संतुलित बयान दिया खासकर उनके द्वारा यूएनजीए में दिए गए संबोधन की सराहना इस समय पूरी दुनिया कर रही है. पूरी दुनिया ने देखा कि मोदी जी ने सिर्फ शांति और विकास की बात की तो इमरान ने सिर्फ युद्ध और विनाश की यहाँ तक कि यूएन जिसका गठन ही शांति के लिए हुआ है के मंच से परमाणु युद्ध की धमकी भी दे डाली वो भी यह जानते हुए कि अगर उसने ऐसा किया तो पाकिस्तान हमेशा के लिए दुनिया के मानचित्र से ही गायब हो जाएगा. इमरान मियां, गांजा फूंकने और देश फूंकने में काफी फर्क है. कब समझोगे? भारतीय पप्पू ने तो यह समझ भी लिया है कि राजनीति उसके बस की बात नहीं है इसलिए अध्यक्ष की कुर्सी छोड़कर निकल लिया है पर इस बात को तुम कब समझोगे? नहीं समझो अपनी बला से. यह तो हमारे लिए और भी अच्छा है. मियां, तुम तब तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने रहो जब तक पाकिस्तान है.
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