गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

गया सुशासन पानी में


मित्रों, बिहार के गांवों में एक लोक गीत वर्षो से लोकप्रिय है खासकर भैंस पालनेवालों की बीच-गईल गईल रे भईसिया पानी में, दूधो न देबे जवानी में, गईल गईल रे भईसिया पानी में.
मित्रों, अपना बिहार भी विचित्र है. पहले यहाँ भैंस पानी से बाहर आने का नाम नहीं लेती थी. तब लालू जी ने इसका उपाय बताया था कि छोड़ दो भईसिया को उसके हाल पर. भूख लगेगी तो खुद ही पानी से बाहर आ जाएगी. बिहार में जबतक लालू जी का शासन था लगता था कि भैंस के साथ-साथ पूरा बिहार भी पानी में है और उसके साथ बिहार सरकार भी.
मित्रों, फिर कुछ समय के लिए बिहार में फील गुड वाला समय आया. जब २००५ में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तब लगा कि अब ये सरकार बिहार को पानी से बाहर निकलेगी. लेकिन अब लगता है कि इससे अच्छी स्थिति तो लालू के समय थी. तब पटना इस तरह पानी में डूबता नहीं था. बताईए भला इन्द्रदेव की इतनी हिमाकत कि २-२ करोड़ के फ्लैट वाले ईलाके को भी पानी-पानी कर दिया. नीचे का पूरा फ्लोर तो डूब ही गया. ऊपर से बिजली गायब. न खाने को कुछ न पीने को. लोग भागना भी चाहते थे तो भाग नहीं पा रहे थे. फिर खबर आई कि बिहार की प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा जी अपने घर में फंसी हुई हैं. इसके साथ ही यह खबर भी आई कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी पानी में घिरे हुए हैं. अब जब छोटे सरकार ही पानी में डूब रहे थे तो जनता को बचाता कौन? 
मित्रों, कुछ दिनों तक पूरा पटना एक समंदर में बदल गया था. सरकारी राहत सरकारी तरीके से चलनी शुरू हुई. सड़े हुए आलू, सडा हुआ चूड़ा असमान से बरसाए जाने लगे. खाना हो तो खाओ नहीं हो मरो अपनी बला से. जमीन पर और पानी में तो कहीं सरकार का पता ही नहीं था.
मित्रों, इसी बीच पटना के लोगों के लिए मसीहा बनकर आए हारे हुए नेता पप्पू यादव. बेचारे पटना के लगभग हर घर तक गए. भोजन-पैसा-पानी बांटा, लोगों को घर से बाहर निकाला. सुबह से देर रात तक पटना की सड़कों पर सिर्फ पप्पू यादव और उनके लोग ही नजर आ रहे थे. यहाँ तक कि लोग राहत के लिए पैसे भी पप्पू यादव के पास ही जमा करवाने लगे. वो तो जब अमिताभ बच्चन जी ५१ लाख का चेक दिया तब पता चला कि बिहार में मुख्यमंत्री भी है और एक मुख्यमंत्री आपदा कोष भी.
मित्रों, सवाल उठता है कि जो काम पप्पू यादव कर रहे थे और अब भी कर रहे हैं उसे बिहार सरकार ने क्यों नहीं किया? क्या एनडीए को इस बात का अभिमान हो गया है कि उसके पास जरूरत से ज्यादा जनसमर्थन है? आश्चर्य तो तब हुआ जब पटना की मेयर जो भाजपाई हैं मीडिया के सामने आई. पता चला कि वे दूसरी राबड़ी देवी हैं. निपट अनपढ़ और अज्ञानी. शायद यही कारण है कि पटना नगर निगम के पास ड्रेनेज का मानचित्र तक नहीं है ड्रेनेज सिस्टम सुधारने की बात तो दूर ही रही.
मित्रों, कुल मिलाकर इन दिनों बिहार में सुशासन पानी में है और जल-क्रीडा का आनंद ले रहा है. पता नहीं कब वो पानी से बाहर आएगा या फिर आएगा भी या नहीं.

कोई टिप्पणी नहीं: