मित्रों, लखनऊ में सरकार की नाक के नीचे हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई. अभी तक यह पता नहीं है कि किन लोगों ने और क्यों उनकी हत्या की लेकिन अब तक कई खबरें वायरल हो रही हैं जिनमें यह भी संकेत मिल रहे हैं कि दरिंदगी से दहला देनेवाले आईएसआईएस का हाथ है.
मित्रों, दरअसल कई साल पहले जब समलैंगिकों ने आन्दोलन किया था तब आजम खान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर बेवजह तंज करते हुए आरोप लगाया था कि समलैंगिकता आरएसएस का मौलिक लक्षण है. तब हिन्दू महासभा के नेता कमलेश तिवारी ने जवाब देते हुए कहा था कि खुद इस्लाम के संस्थापक हजरत मोहम्मद साहब में कई सारे मानवीय अवगुण थे जिसमे समलैंगिकता भी एक था. उनके बयान के बाद मुस्लिम समुदाय काफी गुस्से में आ गया था. उनके खिलाफ देवबंद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, लखनऊ सहित देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुआ था. पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के कालियाचक में भी बड़ा बवाल हुआ था. जनवरी 2016 में करीब 2.5 लाख मुसलमानों ने उग्र रैली निकाली और आगजनी की गई. पुलिस थाने पर हमला हुआ. BSF की एक गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया. यात्रियों से भरी बस पर भी पथराव किया गया. दंगाई कमलेश तिवारी की मौत मांग रहे थे. कमलेश तिवारी की मौत को लेकर फतवे जारी हुए. बिजनौर के जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अनवरुल हक और मुफ्ती नईम कासमी ने कमलेश तिवारी का सिर काटने वाले को 51 लाख रुपए का इनाम देने का एलान किया. बाद में पुलिस ने कमलेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उस समय अखिलेश यादव की सरकार ने उनके खिलाफ रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) भी लगाया था. हालांकि, सितंबर 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनपर लगे रासुका को हटा दिया था. वो फिलहाल जमातन पर रिहा चल रहे थे.
मित्रों, समझ में नहीं आता कि पूरी दुनिया में जब भी कोई मोहम्मद साहब का चरित्र चित्रण करने का प्रयास करता है तो इतना हंगामा क्यों खड़ा हो जाता है? चाहे आशाराम हो या बाबा राम रहीम सिंह हो या रामपाल पिछले दिनों इनके बारे में क्या-क्या नहीं कहा गया. भगवान राम और श्रीकृष्ण के बारे में भी रोजाना क्या-क्या नहीं कहा जाता. भगत सिंह ने अपनी पुस्तक मैं नास्तिक क्यों हूँ में भगवान को क्या-क्या नहीं कहा है? उन्होंने सीधे-सीधे सवाल उठाया है कि अगर दुनिया में अच्छा होने के लिए भगवान जिम्मेदार है तो निर्दोषों की मौत की जिम्मेदारी भी उसे ही लेनी होगी. लेकिन कहीं कोई हंगामा नहीं हुआ. लेकिन जैसे ही इस्लाम की जहरीली और अमानवीय शिक्षाओं और मोहम्मद साहब के बारे में कुछ कहा जाता है पूरी दुनिया में जैसे हिंसा का ज्वार पैदा हो जाता है. ऐसा क्यों है? जब आजम खान आरएसएस के बारे में घटिया बातें करता है तब तो कोई उसे मना नहीं करता लेकिन जब कोई कमलेश तिवारी उसका उत्तर देता है और तथ्यों के आधार पर देता है तब लोग क्यों पूरी दुनिया के गैर मुस्लिमों को जला देने पर आमादा हो जाते हैं?
मित्रों, अच्छा तो यह होता कि दुनियाभर के मुसलमान आत्मविश्लेषण करते और अपने धर्म में इस प्रकार से सुधार करते जिससे किसी को उनके ऊपर ऊँगली उठाने का मौका ही नहीं मिलता. बजाए इसके वे उनके कुकृत्यों की चर्चा करनेवाले के पीछे ही पड़ जाते हैं. अभी कल ही अफगानिस्तान में एक मस्जिद में बम फोड़कर ६२ निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है. हो सकता है कि ऐसा किसी ने जन्नत जाने के लालच में किया हो लेकिन सवाल उठता है कि क्या भगवान पागल है जो ऐसे लोगों को दोजख के बजाए जन्नत में भेजेगा बशर्ते अगर जन्नत और दोजख होते हों? इसी तरह से सीरिया और इराक में खुद मुसलमान मुसलमान को मार रहे हैं. लाखों लोग अभी तक पश्चिमी एशिया में इनके आपसी झगडे में मारे जा चुके हैं क्या इसकी कोई चर्चा भी न करे? आखिर क्यों मुसलमानों के अतिहिंसक होने के कारणों का विश्लेषण नहीं होना चाहिए जबकि उनसे पूरी दुनिया परेशान है? पाकिस्तान जैसे देशों ने तो इसे रोकने के लिए ईशनिंदा कानून ही बना रखा है. किसी शायर ने क्या खूब कहा है-
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती.
मित्रों, सच बोलना तो हर समाज में गुनाह रहा है. सिर्फ भारत ही है जो मुंडे मुंडे मति भिन्नाः को मानता है. याद करिए कि किस तरह सुकरात को सच बोलने के लिए जहर पीना पड़ा था. ईसा शूली पर चढ़े और मंसूर अल हल्लाज को आग में झोंक दिया गया. लेकिन हमारे भारत में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता-बल्कि यहाँ तो लोग वेदों का विरोध करने के बावजूद सिद्धार्थ को भगवान बुद्ध बना देते हैं. फिर आज के भारत में सच बोलना गुनाह कैसे हो गया? मुझे लगता है कि कमलेश तिवारी भी सच बोलने के चलते मारे गए. ऐसे शहीद को श्रद्धांजलि.
-इस बीच, सोशल मीडिया पर एक तथाकथित संगठन अलहिंद ब्रिगेड के नाम से एक मेसेज वायरल हो रहा है, जिसमें हत्या की जिम्मेदारी ली गई है। मेसेज में दावा किया गया है कि जो भी इस्लाम या मुस्लिमों पर उंगली उठाएगा, उसका यही अंजाम होगा। मेसेज की सत्यता की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यूपी पुलिस की भी जानकारी में यह मेसेज है और इसकी जांच की जा रही है।
मित्रों, दरअसल कई साल पहले जब समलैंगिकों ने आन्दोलन किया था तब आजम खान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर बेवजह तंज करते हुए आरोप लगाया था कि समलैंगिकता आरएसएस का मौलिक लक्षण है. तब हिन्दू महासभा के नेता कमलेश तिवारी ने जवाब देते हुए कहा था कि खुद इस्लाम के संस्थापक हजरत मोहम्मद साहब में कई सारे मानवीय अवगुण थे जिसमे समलैंगिकता भी एक था. उनके बयान के बाद मुस्लिम समुदाय काफी गुस्से में आ गया था. उनके खिलाफ देवबंद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, लखनऊ सहित देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुआ था. पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के कालियाचक में भी बड़ा बवाल हुआ था. जनवरी 2016 में करीब 2.5 लाख मुसलमानों ने उग्र रैली निकाली और आगजनी की गई. पुलिस थाने पर हमला हुआ. BSF की एक गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया. यात्रियों से भरी बस पर भी पथराव किया गया. दंगाई कमलेश तिवारी की मौत मांग रहे थे. कमलेश तिवारी की मौत को लेकर फतवे जारी हुए. बिजनौर के जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अनवरुल हक और मुफ्ती नईम कासमी ने कमलेश तिवारी का सिर काटने वाले को 51 लाख रुपए का इनाम देने का एलान किया. बाद में पुलिस ने कमलेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उस समय अखिलेश यादव की सरकार ने उनके खिलाफ रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) भी लगाया था. हालांकि, सितंबर 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनपर लगे रासुका को हटा दिया था. वो फिलहाल जमातन पर रिहा चल रहे थे.
मित्रों, समझ में नहीं आता कि पूरी दुनिया में जब भी कोई मोहम्मद साहब का चरित्र चित्रण करने का प्रयास करता है तो इतना हंगामा क्यों खड़ा हो जाता है? चाहे आशाराम हो या बाबा राम रहीम सिंह हो या रामपाल पिछले दिनों इनके बारे में क्या-क्या नहीं कहा गया. भगवान राम और श्रीकृष्ण के बारे में भी रोजाना क्या-क्या नहीं कहा जाता. भगत सिंह ने अपनी पुस्तक मैं नास्तिक क्यों हूँ में भगवान को क्या-क्या नहीं कहा है? उन्होंने सीधे-सीधे सवाल उठाया है कि अगर दुनिया में अच्छा होने के लिए भगवान जिम्मेदार है तो निर्दोषों की मौत की जिम्मेदारी भी उसे ही लेनी होगी. लेकिन कहीं कोई हंगामा नहीं हुआ. लेकिन जैसे ही इस्लाम की जहरीली और अमानवीय शिक्षाओं और मोहम्मद साहब के बारे में कुछ कहा जाता है पूरी दुनिया में जैसे हिंसा का ज्वार पैदा हो जाता है. ऐसा क्यों है? जब आजम खान आरएसएस के बारे में घटिया बातें करता है तब तो कोई उसे मना नहीं करता लेकिन जब कोई कमलेश तिवारी उसका उत्तर देता है और तथ्यों के आधार पर देता है तब लोग क्यों पूरी दुनिया के गैर मुस्लिमों को जला देने पर आमादा हो जाते हैं?
मित्रों, अच्छा तो यह होता कि दुनियाभर के मुसलमान आत्मविश्लेषण करते और अपने धर्म में इस प्रकार से सुधार करते जिससे किसी को उनके ऊपर ऊँगली उठाने का मौका ही नहीं मिलता. बजाए इसके वे उनके कुकृत्यों की चर्चा करनेवाले के पीछे ही पड़ जाते हैं. अभी कल ही अफगानिस्तान में एक मस्जिद में बम फोड़कर ६२ निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है. हो सकता है कि ऐसा किसी ने जन्नत जाने के लालच में किया हो लेकिन सवाल उठता है कि क्या भगवान पागल है जो ऐसे लोगों को दोजख के बजाए जन्नत में भेजेगा बशर्ते अगर जन्नत और दोजख होते हों? इसी तरह से सीरिया और इराक में खुद मुसलमान मुसलमान को मार रहे हैं. लाखों लोग अभी तक पश्चिमी एशिया में इनके आपसी झगडे में मारे जा चुके हैं क्या इसकी कोई चर्चा भी न करे? आखिर क्यों मुसलमानों के अतिहिंसक होने के कारणों का विश्लेषण नहीं होना चाहिए जबकि उनसे पूरी दुनिया परेशान है? पाकिस्तान जैसे देशों ने तो इसे रोकने के लिए ईशनिंदा कानून ही बना रखा है. किसी शायर ने क्या खूब कहा है-
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती.
मित्रों, सच बोलना तो हर समाज में गुनाह रहा है. सिर्फ भारत ही है जो मुंडे मुंडे मति भिन्नाः को मानता है. याद करिए कि किस तरह सुकरात को सच बोलने के लिए जहर पीना पड़ा था. ईसा शूली पर चढ़े और मंसूर अल हल्लाज को आग में झोंक दिया गया. लेकिन हमारे भारत में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता-बल्कि यहाँ तो लोग वेदों का विरोध करने के बावजूद सिद्धार्थ को भगवान बुद्ध बना देते हैं. फिर आज के भारत में सच बोलना गुनाह कैसे हो गया? मुझे लगता है कि कमलेश तिवारी भी सच बोलने के चलते मारे गए. ऐसे शहीद को श्रद्धांजलि.
-इस बीच, सोशल मीडिया पर एक तथाकथित संगठन अलहिंद ब्रिगेड के नाम से एक मेसेज वायरल हो रहा है, जिसमें हत्या की जिम्मेदारी ली गई है। मेसेज में दावा किया गया है कि जो भी इस्लाम या मुस्लिमों पर उंगली उठाएगा, उसका यही अंजाम होगा। मेसेज की सत्यता की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यूपी पुलिस की भी जानकारी में यह मेसेज है और इसकी जांच की जा रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें