बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

नरेन्द्र मोदी की रॉबिनहुडी सरकार


मित्रों, जब मोदी जी २०१४ में चुनाव प्रचार कर रहे थे तो न जाने उन्होंने क्या-क्या वादे किए थे. जैसे कि देश उनको सिर्फ ६० महीने देकर देखे. वे बेरोजगारी, गरीबी और कालेधन का कलंक हमेशा के लिए मिटा देंगे. पांच साल के बाद भ्रष्टाचार बीते दिनों की बात हो चुकेगी. लेकिन हमारे देश में हो क्या रहा है? बेरोजगारी इन दिनों ऐतिहासिक ऊंचाई पर है, भुखमरी के मामले में भारत पाकिस्तान से भी पीछे है और कालाधन जो विदेश से सौ दिनों में वापस आनेवाला था उसका अबतक कोई अता-पता नहीं है. अलबत्ता कांग्रेस के लगभग सारे भ्रष्ट नेता जरूर भाजपा में आकर पवित्र हो चुके हैं.
मित्रों, जब मोदी जी ने नोटबंदी लागू की तो मैं समझा था और मैं ही क्या पूरा देश समझा था कि मोदी जी की नीयत साफ़ है और वे विदेश के साथ-साथ देश में मौजूद कालेधन का भी नामो-निशान मिटा देंगे. तब भारत के छोटे-मोटे कारोबारियों ने देशहित के नाम पर मोदी जी की बातों पर यकीन करके अपने रोजगार छिन जाने के गम को भी बर्दाश्त कर लिया. लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ जैसा देश के गरीबों ने सोंचा था. चालाक अमीरों ने तो बैंकवालों की मिलीभगत से अपने सारे कालेधन को सफ़ेद कर लिया लेकिन गरीबों का रोजगार कभी फिर से पटरी पर नहीं आ सका. इतना ही नहीं नोटबंदी के कारण लाखों लघु और मध्यम दर्जे की औद्योगिक ईकाईयां हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गईं जिससे लाखों श्रमिकों की नौकरी चली गयी और वे बैंक में जमा बुरे वक़्त के लिए बचाए गए धन पर निर्भर हो गए.
मित्रों, मंदी को और भी लम्बा और मारक बनाने के लिए मोदी सरकार ने मूर्खतापूर्ण तरीके से जीएसटी को लागू कर दिया जिसमें अग्रिम कर देने की व्यवस्था थी. सरकार ने समय पर व्यवसायियों को उनका अग्रिम पैसा नहीं लौटाया जिससे उनको दोहरी क्षति हुई. बाद में जीएसटी के कारण कर-वसूली में आई कमी को पूरा करने लिए सरकार ने सार्वजानिक क्षेत्र की ईकाईयों जैसे ओएनजीसी और एलआईसी से जबरन पैसे लिए जिससे इनकी हालत ख़राब हो गई. पहले जहाँ वे महानवरत्न थे आज पत्थर बनकर रह गए हैं. इतना ही नहीं सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया को भी नहीं छोड़ा.
मित्रों, यह सरकार इतने पर ही रूक जाती तो फिर भी गनीमत थी लेकिन अब तो यह सरकार रेलवे का भी निजीकरण करने में जुट गई है. इससे पहले बीएसएनएल, एमटीएनएल को मनमाने ऑफर लाकर बर्बाद किया जा चुका है. मतलब कि भविष्य में गरीब लोग रेलगाड़ी में चढ़ भी नहीं पाएँगे. इतना ही नहीं इन सरकारी कंपनियों और रेलवे में निकट-भविष्य में जमकर छंटनी हो सकती है. मंदी के चलते कई निजी एयरलाइन्स पहले ही बर्बाद हो चुकी हैं. आसमान का महाराजा एयर इण्डिया भी जल्द ही परायाधन बननेवाला है.इसी तरह भारत पेट्रोलियम को भी कौड़ी के दाम में बेचने की पूरी तैयारी हो चुकी है. राजतिलक की करो तैयारी आ रहे हैं भगवाधारी. इस सरकार के रहते भविष्य में बैंकों में लोगों की जमा पूँजी भी सुरक्षित है या नहीं कहा नहीं जा सकता. सरकार पैसे की कमी के चलते पहले ही तरह-तरह की चालाकियों से गरीबों से पैसे वसूल रही है जैसे एक तरफ तो सरकार बैंकों से लिए गए बड़े ऋणों को माफ़ कर रही है वहीँ गरीबों से न्यूनतम जमा राशि के नाम पर दोनों हाथों से पैसे लूट रही है.
मित्रों, इन दिनों देश की जनता की हालत कुल मिलाकर बेटा मांगने गए और पति को भी गँवा दिया वाली हो गयी है. यह सही है कि सरकार ने धारा ३७० को समाप्त कर दिया है और भविष्य में शायद वो समान नागरिक संहिता को भी लागू करेगी. साथ ही कदाचित राम मंदिर भी अयोध्या में बना दिया जाएगा. लेकिन इसके बदले सरकार देश के गरीबों से उनकी जिंदगी ही छीन लेना चाहती है. भविष्य में उनके पास जिंदगी तो होगी परन्तु उनकी जिंदगी के स्वामी पूंजीपति होंगे. अर्थात कभी पाकिस्तान के नाम पर तो कभी चंद्रयान के नाम पर तो कभी चीनी राष्ट्रपति की यात्रा या राऊडी मोदी के नाम पर भारतवासियों को लगातार बरगलाया जा रहा है. असलियत तो यह है कि यह सरकार रॉबिनहुड से उलट व्यवहार करनेवाली सरकार है. जहाँ रॉबिनहुड अमीरों से धन लूटकर उसे गरीबों में बाँट दिया करता था यह सरकार अमीरों को पहले ऋण देती है और फिर उनके ऋणों को माफ़ कर उसकी कीमत गरीबों से वसूलती है. चाहे वो पेट्रोल-डीजल और बिजली की ऊंची दर के रूप में हो या फिर उच्च शिक्षा में बेतहाशा बढ़ी हुई फीस के रूप में हो या रेलगाड़ी में बढे हुए तत्काल सीटों और टिकटों के रूप में हो. खुद सरकारी आंकड़ें बताते हैं कि इस सरकार के समय रोजगार नहीं बढ़ा बल्कि बेरोजगारी बढ़ी हैं लेकिन सरकार अपने आंकड़ों को ही झुठला रही है. अभी-अभी कल ही खबर आई कि यूपी सरकार २५ हजार गृहरक्षकों को नौकरी से निकालने जा रही है. लेकिन बाद में मामले को तूल पकड़ते देख निर्णय को तत्काल टाल दिया गया. अरे भाई गरीबों का जिन्दा रहना कोई जरूरी है क्या जरूरी तो राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण है. इस सरकार के मंत्री मंदी को फिल्मों से जोड़कर अजीबोगरीब बयान देकर गरीबों के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं. आश्चर्यजनक तो यह है जब अर्थव्यवस्था में क्षेत्र में चौतरफा निराशाजनक हालात हैं तब भारत के प्रधानमन्त्री देश की जनता को चने के झाड़ पर चढाते हुए भारत को ५० ख़राब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कर रहे हैं. 
मित्रों, मैं नहीं जानता कि मोदी जी कितने गरीब परिवार से आते हैं लेकिन मैं इतना जानता हूँ कि इनके समय में लाखों लोग सड़क पर जरूर आ गए हैं. मोदी जी को उन परिवारों का दर्द नहीं पता जिनके पैसे इस समय पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक में फंस गए हैं और जो आत्महत्या कर रहे हैं. मोदी जी, हो सकता है कि आपने बचपन में चाय बेची होगी लेकिन क्या इसका बदला आप देश के गरीबों से लेंगे और हम सबसे चाय बेचवाएंगे और पकौड़े तलवाएंगे?

1 टिप्पणी:

Shivang Kumar ने कहा…

बचपन में एक कहानी पढ़ी थी कि एक राजा के पास पहरेदार बंदर था, चोर एक रात उसके कमरे में घुस आया, चोर ने देखा कि बंदर मक्खी को मारने के लिए राजा की नाक काट रहा है, चोर ने बंदर से राजा की जान बचाई तो राजा बोला, बंदर से चोर भला
ऐसे ही बंदरों की सरकार से अच्छी चोरों की सरकार थी