सोमवार, 4 नवंबर 2019

बैंकों में जमा गरीबों के पैसों की सुरक्षा सुनिश्चित करे सरकार


मित्रों, एक जमाना था जब लोग चोर-डाकुओं के भय से जमीन के नीचे गाड़कर पैसे रखा करते थे. फिर आया बैंक का जमाना और लोग बैंकों में पैसा जमा करने लगे. फिर आए नॉन बैंकिंग संस्थान. लोगों ने अपना पेट काटकर इनमें ज्यादा ब्याज के लालच में जमकर पैसे जमा कराए. लेकिन १९९७ में एक समय ऐसा भी आया जब बहुत सी नॉन बैंकिंग कंपनियां रातों-रात लोगों के पैसे लेकर फरार हो गईं और देश की गरीब जनता रोती-बिलखती रह गयी. तब ऐसा कोई कानून था ही नहीं जिसके माध्यम से जनता की खून-पसीने की कमाई की बरामदगी हो पाती.
मित्रों, फिर वर्ष २०१७ में मोदी सरकार ने ऐसा कानून बनाया जिसके अंतर्गत बैंक बंद होने, दिवालिया होने या बैंक का विलय होने पर जमा धारकों को उनका पैसा मिलने की गारंटी दी गयी लेकिन दुर्भाग्यवश वह गारंटी सिर्फ १ लाख तक की ही दी गयी. अर्थात अगर आपका बैंक डूबता है तो आपको अधिकतम १ लाख रूपया ही प्राप्त होगा भले ही आपने करोड़ों रूपये जमा कर रखे हों.
मित्रों, पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉपरेटिव (पीएमसी) बैंक के संकट में पड़ने के बाद बैंक में जमा रकम के बीमा का मुद्दा चर्चा में आ गया है। इस बैंक में जमा राशि के फंस जाने से लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों पैसे की किल्लत से जूझ रहे पीएमसी बैंक के कुछ ग्राहकों की मौत भी हो गई।
मित्रों, जैसा कि मैंने ऊपर बताया कि भारतीय बैंकों में जमा रकम पर ग्राहकों को अधिकतम एक लाख रुपए का बीमा मिलता है। बीमा का यह स्तर दुनिया के अधिकतर देशों में मिलने वाले बीमे के मुकाबले कम है। यही नहीं एशियाई देशों और ब्रिक्स समूह के देशों से भी तुलना की जाए, तो भारतीय बैंकों का डिपॉजिट बीमा काफी कम है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस में बैंकों की जमा पर 13.6 लाख रुपए का बीमा कवर मिलता है। यह बीमा कवर ब्राजील में 45.36 लाख रुपए है। कनाडा में बैंक डिपॉजिट पर 51.2 लाख रुपए का बीमा कवर मिलता है। जापान में यह कवर 62.9 लाख रुपए है। फ्रांस में यह कवर 77.1 लाख रुपए, जर्मनी और इटली में भी यह कवर इतना ही है। ब्रिटेन में यह 78.7 लाख रुपए, ऑस्ट्रेलिया में 1.3 करोड़ रुपए और अमेरिका में यह डिपॉजिट कवर 1.77 करोड़ रुपए है।
मित्रों, भारत में बैंक डिपॉजिट पर जो बीमा कवर है, वह देश की प्रति व्यक्ति आय के मुकाबले 70 फीसदी है। रूस में यह प्रति व्यक्ति आय के मुकाबले 2.2 गुना है। ब्राजील में यह 7.4 गुना, कनाडा में 1.7 गुना, जापान में 2.3 गुना, फ्रांस में तीन गुना, जर्मनी में 2.6 गुना, इटली में 3.6 गुना, ब्रिटेन में 2.8 गुना, ऑस्ट्रेलिया में गुना और अमेरिका में 4.4 गुना है।  ब्रिक्स समूह में ब्राजील में 45.36 लाख रुपए और रूस में 13.6 लाख रुपए का डिपॉजिट कवर मिलता है। वहीं ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में 57.3 लाख रुपए तक का बीमा कवर मिलता है। अगर हम एशियाई देशों की तरफ दृष्टिपात करें तो फीलीपींस में बैंक डिपॉजिट पर 67.3 लाख रुपए का बीमा कवर है। थाईलैंड में यह कवर 1.13 करोड़ रुपए है।
मित्रों, आप देख सकते हैं कि भारत में बैंक जमा राशि पर गारंटी बहुत कम है. अभी पीएमसी बैंक के डूबने के बाद उसके जमाकर्ताओं की हालत काफी चिंताजनक है. आरबीआई ने ६ महीने में मात्र ४० हजार रूपये निकालने की अनुमति दी है जो वर्तमान हालात में काफी कम है. फिर जिसको बेटी की शादी करनी होगी या घर बनाना होगा, बच्चों की पढाई का खर्च उठाना होगा उनका तो पूरा भविष्य ही ख़राब हो गया. सवाल उठता है कि मात्र एक लाख तक की ही गारंटी क्यों? यहाँ मैं यह स्पष्ट कर दूं कि अगर कोई सरकारी बैंक भी बंद होता या उसका विलय होता है तब भी ग्राहक मात्र एक लाख अधिकतम का ही हकदार होगा. तो मैं कह रहा था कि सिर्फ १ लाख तक की ही गारंटी क्यों? क्यों जनता की एक-एक पाई की गारंटी नहीं देनी चाहिए? एक तरफ बड़े-बड़े पूंजीपति हजारों करोड़ का ऋण लेकर विदेश भाग जा रहे हैं, हजारों करोड़ों के उनके ऋण माफ़ कर दिए जा रहे हैं तो वहीँ दूसरी ओर गरीबों के खुद की मेहनत की कमाई की भी गारंटी नहीं. ऐसा क्यों? भारत में लोकतंत्र है या अमीर तंत्र? या फिर बचपन में स्टेशन पर चाय बेचनेवाले की सरकार यह चाहती है कि लोग फिर से बाग़-बगीचे में जमीन के नीचे पैसे गाड़कर रखें?

कोई टिप्पणी नहीं: