शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
आम आदमी को ठेंगा
दीदी के दिशाहीन रेल बजट के बाद देशवासियों को इंतजार था दादा के आम बजट का.लेकिन दादा ने तो आम आदमी को सीधे ठेंगा दिखा दिया.कुल मिलाकर बजट को देखकर अंधे द्वारा रेवड़ी बाँटने वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है.जहाँ देश की जनता उनसे महंगाई कम करने के उपाय की उम्मीद कर रही थी वहीँ मंत्री ने २०००० करोड़ रूपये के नए कर लगा उनकी मुश्किलों को और भी बढा दिया.पेट्रोल और डीजल तो रात १२ बजे से ही महंगे हो गए हैं.यह कमाल हुआ है पेट्रोलियम पदार्थों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क बढा देने से.अब इसे जले पर नमक छिड़कना न कहें तो क्या कहें? वित्त मंत्री से उम्मीद थी कि वे महंगाई घटाने के लिए कोई कदम उठाएंगे लेकिन उन्होंने महंगाई बढ़ाने की दिशा में कदम उठाना ज्यादा उचित समझा.बजट में महंगाई को कम करने के लिए दूसरी हरित क्रांति की कल्पना की गई है और इसके लिए मात्र ४०० करोड़ रूपये आवंटित किये गए हैं.मात्र ४०० करोड़ रूपये में हरित क्रांति का दिवास्वप्न देखा गया है.यानी फूंक मारकर पहाड़ उड़ाने की गंभीर कोशिश की है प्रणव मुखर्जी ने.सीमेंट और स्टील को महंगा कर गरीबों और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए अपना घर का सपना देखना भी महंगा कर दिया गया है.सामाजिक क्षेत्र के लिए जहाँ आवंटन बढा दिया गया है वहीँ खर्च पर निगरानी रखनेवाली एजेंसियों के बजट में कटौती कर दी गई है.यानी सरकार की नजर में भ्रष्टाचार कोई मुद्दा ही नहीं है.आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी मनरेगा के लिए आवंटन में १०००० करोड़ की भारी-भरकम बढ़ोतरी की गई है.आयकर ढांचे में तो इस तरह बदलाव किये गए हैं कि जिसकी जितनी ज्यादा आमदनी उसको उतना ही ज्यादा लाभ.अब ५,००,००० तक की आय वाले को १० प्रतिशत और ८ लाख की आय वाले को सिर्फ २० प्रतिशत कर देना पड़ेगा.यहाँ भी अमीरों को ही लाभ पहुँचाने का प्रयास किया गया है.आयकर की ऊपरी सीमा बढ़ाने के बजाये यदि निचली सीमा को बढाया जाता तो निम्न आयवर्ग को भी राहत महसूस होती.खेती-किसानी की लागत पहले खाद और अब डीजल के मूल्य बढ़ने से और बढ़ने वाली है.यानी तेल के माथा तेल.चीन और पाकिस्तान से कभी नरम तो कभी गरम चलते रिश्तों के मद्देनजर भारी मात्रा में रक्षा खरीद की जरूरत थी लेकिन सरकार ने इसकी पूरी तरह उपेक्षा कर दी है.शिक्षा को भी उचित तरजीह नहीं मिल सकी है.बिजली और अधोसंरचना क्षेत्र को ज्यादा पैसे दिए गए हैं लेकिन पिछले कई वर्षों से ये क्षेत्र लक्ष्य प्राप्ति न होने के लिए अभिशप्त हैं.कुल मिलाकर यह बजट अजीबोगरीब बजट है और सरकार किस ओर जाना चाहती है इसे देखने से इसका पता नहीं चलता.यह बजट सिर्फ पेश करने के लिए पेश कर दिया गया है न तो इसकी कोई दिशा है और न ही उद्देश्य.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें