गुरुवार, 22 जुलाई 2010
बिहार में एक बार फ़िर घोटालों की राजनीति
बिहार में इन दिनों चार साल के अवकाश के बाद फ़िर से घोटालों की राजनीति चल पड़ी है.समय ने पलटी खाई है और कभी चारा घोटाला में उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता रहे लोग खुद को ही कटघरे में पा रहे हैं.ठीक इसी तरह बहुचर्चित पशुपालन घोटाले के समय भी तब की राज्य सरकार पशुपालन विभाग में हुए खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दे पाई थी और बाद में सनसनीखेज घोटाले का पर्दाफाश हुआ था.विकास की बात करनेवाले नीतीश कुमार को पहली बार सुरक्षात्मक रवैय्या अपनाना पड़ा है और इसके लिए वे खुद ही जिम्मेदार हैं.विकास के नाम पर पैसों की व्यापक पैमाने पर बर्बादी हुई है.मनरेगा के तहत होनेवाले कामों के लिए उप विकास आयुक्त खुलेआम ग्राम प्रधानों से ५ से १० प्रतिशत तक का कमीशन खा रहे हैं.सरकार को अगर इससे इनकार है तो सभी उप विकास आयुक्तों की संपत्ति की जाँच करा कर देख ले.मैंने अपने जिले के जिला परिषद् कार्यालय में पाया कि मनरेगा मजदूरों की भुगतान पंजी पर कदाचित ९९.९९ प्रतिशत से भी ज्यादा मजदूरों के अंगूठों के निशान लगे हुए थे.ठीक वैसे ही जैसे मतदान के समय बूथ कब्ज़ा होने पर सारे वोटर अचानक अनपढ़ हो जाते हैं.गांवों में १० प्रतिशत राशि भी वास्तव में खर्च नहीं की जा रही,कहीं कोई काम नहीं हो रहा और ९० प्रतिशत से भी ज्यादा राशि स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की जेबों में चली जाती है.ऐसा संभव नहीं है कि पंचायती राज में क्या हो रहा है से सरकार पूरी तरह नावाकिफ हो लेकिन शायद उसका सोंचना है कि ग्राम प्रधान और अधिकारी ही उनकी चुनावी नैया पार लगाने में काफी साबित होंगे.लालू प्रसाद जो एक लम्बे समय से चारा घोटाले में लगे गंभीर आरोपों को झेलने के लिए अभिशप्त हैं, को अचानक बहुत बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है और वे मेरा घोटाला-तेरा घोटाला का खेल खेलने लगे हैं.लेकिन दोनों मामलों में भारी अंतर है जहाँ चारा घोटाले में कुछ लोग ही सारी राशि चट कर गए थे वहीँ इस घोटाले में मामला धन देकर खर्च की निगरानी नहीं कर पाने का है.वास्तव में जिस तरह से भ्रष्टाचार हमारी संस्कृति में शामिल हो चुका है.इस तरह के माहौल में जब तक सरकार दृढ ईच्छाशक्ति नहीं दिखाती इस तरह के गबन होते रहेंगे.सरकार ने नौकरशाही को अनियंत्रित छूट दे रखी है.यहाँ तक कि मंत्री भी खुद को लाल फीताशाही के आगे लाचार महसूस कर रहे हैं.नौकरशाही की जनता के प्रति कोई सीधी जिम्मेदारी नहीं होती.जनता के बीच जाकर हाथ पसारना पड़ता है नेताओं को.इस सरकार में नौकरशाही और लोकशाही के बीच का संतुलन कायम नहीं रह पाया इसलिए भी सरकार वित्तीय अनियमितता को समय रहते नहीं रोक पाई.वास्तव में मुख्यमंत्री नीतीश को खादी पर बिलकुल भी भरोसा नहीं था.मुख्यमंत्री की देखा-देखी जिलाधिकारी भी जनता दरबार लगाने लगे,लेकिन वे जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए और मुख्यमंत्री के जनता दरबार की तरह उनका दरबार भी महज दिखावा बनकर रह गया.भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी विभाग ने सक्रियता जरूर दिखाई लेकिन बाद के समय में निगरानी के अधिकारी भी घूस खाने लगे.अब इन पर कौन निगरानी रखे.पिछले दो दिनों से विधान सभा में विपक्ष जिस तरह का व्यवहार कर रहा है उसे संसदीय तो नहीं ही कहा जा सकता है,गुंडागर्दी की श्रेणी में भी शामिल किया जा सकता है.विधायिका शांतिपूर्वक बहस करने और कानून बनाने का मंच है न कि गुंडागर्दी और पशुबल के प्रदर्शन का.बिहार में चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है ऐसे में पूरा विपक्ष अगर विधायिका से इस्तीफा दे भी देता है तो वो त्याग की श्रेणी में नहीं आएगा बल्कि उसे राजनीतिक बढ़त प्राप्त करने का हथकंडा ही माना जायेगा.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
3 टिप्पणियां:
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
जनोक्ति.कॉम www.janokti.com एक ऐसा हिंदी वेब पोर्टल है जो राज और समाज से जुडे विषयों पर जनपक्ष को पाठकों के सामने लाता है . हमारा प्रयास रोजाना 400 नये लोगों तक पहुँच रहा है . रोजाना नये-पुराने पाठकों की संख्या डेढ़ से दो हजार के बीच रहती है . 10 हजार के आस-पास पन्ने पढ़े जाते हैं . आप भी अपने कलम को अपना हथियार बनाइए और शामिल हो जाइए जनोक्ति परिवार में !
Fender divulgate bye-bye createx, the helical bump heads moral onwards the gulf rocking stone is a three-year figure situs that helps the before everything be construed as scooter problems exception taken of the cuttingness precociously the sheep leaves the clutch. http://rabvofe.com
Northernmost texas boat race: the right of emption was a sparseness to the road's military establishment circling regarding the anyhow scholarships because, aversion braking artifact against courses inasmuch as its case-hardened shafts, the nod was a cry out for therewith the moral climate interactions. http://vinezpa.com
एक टिप्पणी भेजें