मित्रों वर्तमान केंद्र सरकार की असीम अनुकम्पा से हमारा देश एशिया का दूसरा भ्रष्टतम देश बन गया है.शीर्ष पर अभी इंडोनेशिया है.अगर हमें शर्मनाक शिखर पर पहुँचने से बचना है और अपनी स्थिति सुधारनी है तो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार पर लगातार दबाव बनाए रखना होगा.अगर हमने ऐसा नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब भारत बड़े ही शर्म के साथ एशिया ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश घोषित किया जाएगा और इसके लिए कहीं-न-कहीं हम और आप सभी दोषी होंगे.
मित्रों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस समय के केंद्रीय मंत्रिमंडल में योग्य लोगों की कोई कमी नहीं है.कोई ईमानदारी में नंबर वन है तो कोई सरकारी कामकाज में.लेकिन अंग्रेजी में एक कहावत है कि हैंडसम इज दैट हैंडसम डज.कहने का तात्पर्य यह कि भले ही केंद्र सरकार में योग्यतम लोगों की भीड़ है सरकार का प्रदर्शन तो बड़ा ही निम्न है.नाम बड़े और दर्शन छोटे.ऐसे में मंत्रियों की तुलना में मंदबुद्धि हमलोगों का यह कर्तव्य हो जाता है कि हम सरकार को उसके कर्तव्यों की याद दिलाएं.
मित्रों पिछले कई महीनों से २-जी स्पेक्ट्रम घोटाला चर्चा के केंद्र में है.कल ही पूर्व संचार मंत्री राजा की गिरफ़्तारी हुई है और केंद्र इसको लेकर खुद अपनी ही पीठ ठोंकने में लगा है कि हम न कहते थे कि हम भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर हैं.अगर भ्रष्ट नेताओं के कुछ दिनों के लिए जेल चले जाने से ही भ्रष्टाचार समाप्त हो जाता तो राजनीति में पीएच.डी. लालूजी तो कई बार जेल जा चुके हैं.तो क्या इससे भ्रष्टाचार की सेहत पर कोई प्रभाव पड़ा है,नहीं न?२-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में अभी तो कानूनी दांवपेंच शुरू ही हुआ है.दिल्ली में बैठे कांग्रेसी नेताओं,राजा को सजा मिलना तो अभी दिल्ली दूर है.कहीं ऐसा न हो कि मामला ठंडा पड़ते ही केंद्र भी ठंडा पड़ जाए और राजा फ़िर से बाहर आ जाएँ;जैसा कि माननीय लालूजी के केस में हुआ भी है.
केंद्र सरकार को चाहिए कि राजा और अन्य दोषियों की सारी नामी-बेनामी संपत्ति जब्त करे.लेकिन अगर ऐसा हो भी जाता हैं तो उससे पौने २ लाख करोड़ रूपये की भरपाई होनी तो मुश्किल ही है.इसलिए केंद्र की इस जानबूझकर की गई गलती का एकमात्र प्रायश्चित यही हो सकता है कि राजा के समय आवंटित सारे २-जी स्पेक्ट्रमों को रद्द कर फ़िर से निविदा आमंत्रित कर इन २-जी स्पेक्ट्रमों की दोबारा नीलामी की जाए.तभी सरकारी खजाने को लगी चपत की भरपाई हो पाएगी.साथ ही अगर यह दोहरी नीति अपनायी गई तो भ्रष्टाचारियों को भी भविष्य के लिए सबक मिलेगी.चूंकि इस मामले में घूस देकर सरकारी नीतियों को प्रभावित करने वाले लोग भी भ्रष्टाचार के लिए कम दोषी नहीं हैं,इसलिए भी राजा के कार्यकाल में आवंटित २-जी स्पेक्ट्रमों को रद्द किया जाना चाहिए और पारदर्शी तरीके से फ़िर से इनकी नीलामी की जानी चाहिए.आप जानते हैं कि केंद्र कह सकता है कि क्योंकि मामला इस समय न्यायालय में विचाराधीन है;इसलिए जो न्यायालय कहेगा वही करेंगे.लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अदालत सजा दे सकती है नीतियों में बदलाव नहीं कर सकती.नीतिगत कदम जैसे आवंटन रद्द करना,नीलामी के तरीके में परिवर्तन करना और नए व पूर्ण पारदर्शी नियमों के आधार पर फ़िर से स्पेक्ट्रमों की नीलामी करने का काम तो केवल और केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है.चाहे स्वतः करे या न्यायालय के आदेश से करे.तो फ़िर उसे इस शुभकाम में विलम्ब नहीं करना चाहिए.अगर केंद्र सरकार तत्परतापूर्वक ऐसा नहीं करती है तो फ़िर यही माना जाएगा कि वह भ्रष्टाचार के प्रति बगुला भगत की नीति अपना रही है,विशुद्ध ढोंग और दिखावे की नीति.
मित्रों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस समय के केंद्रीय मंत्रिमंडल में योग्य लोगों की कोई कमी नहीं है.कोई ईमानदारी में नंबर वन है तो कोई सरकारी कामकाज में.लेकिन अंग्रेजी में एक कहावत है कि हैंडसम इज दैट हैंडसम डज.कहने का तात्पर्य यह कि भले ही केंद्र सरकार में योग्यतम लोगों की भीड़ है सरकार का प्रदर्शन तो बड़ा ही निम्न है.नाम बड़े और दर्शन छोटे.ऐसे में मंत्रियों की तुलना में मंदबुद्धि हमलोगों का यह कर्तव्य हो जाता है कि हम सरकार को उसके कर्तव्यों की याद दिलाएं.
मित्रों पिछले कई महीनों से २-जी स्पेक्ट्रम घोटाला चर्चा के केंद्र में है.कल ही पूर्व संचार मंत्री राजा की गिरफ़्तारी हुई है और केंद्र इसको लेकर खुद अपनी ही पीठ ठोंकने में लगा है कि हम न कहते थे कि हम भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर हैं.अगर भ्रष्ट नेताओं के कुछ दिनों के लिए जेल चले जाने से ही भ्रष्टाचार समाप्त हो जाता तो राजनीति में पीएच.डी. लालूजी तो कई बार जेल जा चुके हैं.तो क्या इससे भ्रष्टाचार की सेहत पर कोई प्रभाव पड़ा है,नहीं न?२-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में अभी तो कानूनी दांवपेंच शुरू ही हुआ है.दिल्ली में बैठे कांग्रेसी नेताओं,राजा को सजा मिलना तो अभी दिल्ली दूर है.कहीं ऐसा न हो कि मामला ठंडा पड़ते ही केंद्र भी ठंडा पड़ जाए और राजा फ़िर से बाहर आ जाएँ;जैसा कि माननीय लालूजी के केस में हुआ भी है.
केंद्र सरकार को चाहिए कि राजा और अन्य दोषियों की सारी नामी-बेनामी संपत्ति जब्त करे.लेकिन अगर ऐसा हो भी जाता हैं तो उससे पौने २ लाख करोड़ रूपये की भरपाई होनी तो मुश्किल ही है.इसलिए केंद्र की इस जानबूझकर की गई गलती का एकमात्र प्रायश्चित यही हो सकता है कि राजा के समय आवंटित सारे २-जी स्पेक्ट्रमों को रद्द कर फ़िर से निविदा आमंत्रित कर इन २-जी स्पेक्ट्रमों की दोबारा नीलामी की जाए.तभी सरकारी खजाने को लगी चपत की भरपाई हो पाएगी.साथ ही अगर यह दोहरी नीति अपनायी गई तो भ्रष्टाचारियों को भी भविष्य के लिए सबक मिलेगी.चूंकि इस मामले में घूस देकर सरकारी नीतियों को प्रभावित करने वाले लोग भी भ्रष्टाचार के लिए कम दोषी नहीं हैं,इसलिए भी राजा के कार्यकाल में आवंटित २-जी स्पेक्ट्रमों को रद्द किया जाना चाहिए और पारदर्शी तरीके से फ़िर से इनकी नीलामी की जानी चाहिए.आप जानते हैं कि केंद्र कह सकता है कि क्योंकि मामला इस समय न्यायालय में विचाराधीन है;इसलिए जो न्यायालय कहेगा वही करेंगे.लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अदालत सजा दे सकती है नीतियों में बदलाव नहीं कर सकती.नीतिगत कदम जैसे आवंटन रद्द करना,नीलामी के तरीके में परिवर्तन करना और नए व पूर्ण पारदर्शी नियमों के आधार पर फ़िर से स्पेक्ट्रमों की नीलामी करने का काम तो केवल और केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है.चाहे स्वतः करे या न्यायालय के आदेश से करे.तो फ़िर उसे इस शुभकाम में विलम्ब नहीं करना चाहिए.अगर केंद्र सरकार तत्परतापूर्वक ऐसा नहीं करती है तो फ़िर यही माना जाएगा कि वह भ्रष्टाचार के प्रति बगुला भगत की नीति अपना रही है,विशुद्ध ढोंग और दिखावे की नीति.
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