मोबाइलों के कई बाप हो चुके हैं.इन बापों के भी कई बाप मौजूद हैं.हो सकता है कि इनमें से कुछ बाप आपकी जेबों में भी हों.लेकिन दुर्भाग्यवश घोटालों का अब तक कोई बाप नहीं था.अनाथ था घोटालों का पूरा कुनबा अबतक.परन्तु
हमारे प्रधानमंत्री ठहरे अनाथों के नाथ,दया के सागर और कृपा के सिन्धु.सो उनसे घोटालों का बिना बाप का होना और इसलिए गाँव-नगर में उपहास का पात्र बन जाना देखा नहीं गया.इसलिए उन्होंने इस असहाय परिवार पर कृपामृत की घोरवृष्टि करते हुए अपने पास रखे गए महकमे अंतरिक्ष विभाग से उन्हें बाप प्रदान कर दिया.
अभी कल ही अवतरित हुए हैं महाप्रभु.जाने अब तक किस टेबल की किन फाइलों की भूलभूलैया में गुम थे.भारत की अर्थव्यवस्था आज १९८६-८७ के मुकाबले जितनी गुना नहीं बढ़ी कहीं उससे ज्यादा गुना बढ़ गया है घोटालों का आकार.आगे आने वाले घोटाले शायद अर्थव्यवस्था के भीतर समाएँ भी नहीं.कितनी तेज वृद्धि दर है.जहाँ १९८६-८७ में बोफोर्स की खरीद में मात्र ४० करोड़ का घोटाला हुआ था अब दो लाख करोड़ रूपये का घोटाला हो रहा है.वो भी खुदरा में नहीं थोक में.
दो लाख करोड़ कितना होता है पता है आपको?२० ख़रब रूपये होते हैं २ लाख करोड़ में.यानी २ के बाद १२ शून्य बिठाने पड़ते हैं.अर्थात जितना इकाई,दहाई करके गिनने में हमें परेशानी होती है इस सरकार में रोजाना उतने रूपये के घोटाले हो रहे हैं.भगवान न करे कि यदि इतने रूपये हमें या आपको हाथ से गिनने के लिए दे दिए जाएँ तो १,२,३,४ करते-करते शायद ज़िन्दगी ही बीत जाए.
लेकिन हमारे माननीय प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों के लिए इतने रूपये का घोटाला करना चुटकी का खेल है.आँख बंद और माल गायब.सी.ए.जी. का काम है बकबक करना सो करती रहे.विपक्ष का काम है शोर मचाना सो मचाता रहे और जनता का काम है माननीयों के सब्जबागी भाषणों पर तालियाँ पीटना और वोट डालना सो ताली पीटती रहे और वोट डालती रहे.केंद्र सरकार के प्रधान और अन्य मंत्रियों का काम है घोटालों के नए-नए मॉडल,नए-नए बाप जनमत के बाजार में उतारना सो उतारते रहेंगे और हमारा काम है कागज काला करके इन घोटालेबाजों का मुंह काला करना सो करते रहेंगे.देखिए अब इस घोटालों के बाप के बाप को कब देश के सामने लाया जाता है.वैसे हमारे नेता व अफसर शुभकाम में देरी के आदी नहीं हैं.हमसे ज्यादा इंतजार नहीं करवाएँगे.
हमारे प्रधानमंत्री ठहरे अनाथों के नाथ,दया के सागर और कृपा के सिन्धु.सो उनसे घोटालों का बिना बाप का होना और इसलिए गाँव-नगर में उपहास का पात्र बन जाना देखा नहीं गया.इसलिए उन्होंने इस असहाय परिवार पर कृपामृत की घोरवृष्टि करते हुए अपने पास रखे गए महकमे अंतरिक्ष विभाग से उन्हें बाप प्रदान कर दिया.
अभी कल ही अवतरित हुए हैं महाप्रभु.जाने अब तक किस टेबल की किन फाइलों की भूलभूलैया में गुम थे.भारत की अर्थव्यवस्था आज १९८६-८७ के मुकाबले जितनी गुना नहीं बढ़ी कहीं उससे ज्यादा गुना बढ़ गया है घोटालों का आकार.आगे आने वाले घोटाले शायद अर्थव्यवस्था के भीतर समाएँ भी नहीं.कितनी तेज वृद्धि दर है.जहाँ १९८६-८७ में बोफोर्स की खरीद में मात्र ४० करोड़ का घोटाला हुआ था अब दो लाख करोड़ रूपये का घोटाला हो रहा है.वो भी खुदरा में नहीं थोक में.
दो लाख करोड़ कितना होता है पता है आपको?२० ख़रब रूपये होते हैं २ लाख करोड़ में.यानी २ के बाद १२ शून्य बिठाने पड़ते हैं.अर्थात जितना इकाई,दहाई करके गिनने में हमें परेशानी होती है इस सरकार में रोजाना उतने रूपये के घोटाले हो रहे हैं.भगवान न करे कि यदि इतने रूपये हमें या आपको हाथ से गिनने के लिए दे दिए जाएँ तो १,२,३,४ करते-करते शायद ज़िन्दगी ही बीत जाए.
लेकिन हमारे माननीय प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों के लिए इतने रूपये का घोटाला करना चुटकी का खेल है.आँख बंद और माल गायब.सी.ए.जी. का काम है बकबक करना सो करती रहे.विपक्ष का काम है शोर मचाना सो मचाता रहे और जनता का काम है माननीयों के सब्जबागी भाषणों पर तालियाँ पीटना और वोट डालना सो ताली पीटती रहे और वोट डालती रहे.केंद्र सरकार के प्रधान और अन्य मंत्रियों का काम है घोटालों के नए-नए मॉडल,नए-नए बाप जनमत के बाजार में उतारना सो उतारते रहेंगे और हमारा काम है कागज काला करके इन घोटालेबाजों का मुंह काला करना सो करते रहेंगे.देखिए अब इस घोटालों के बाप के बाप को कब देश के सामने लाया जाता है.वैसे हमारे नेता व अफसर शुभकाम में देरी के आदी नहीं हैं.हमसे ज्यादा इंतजार नहीं करवाएँगे.
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