9 नवंबर,2014,हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,हमलोग जानते हैं कि इन
दिनों हमलोगों की हथेली पर बाल इसलिए नहीं उग पा रहे हैं क्योंकि हम अपने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अच्छे कामकाज पर दिनरात तालियाँ पीटते रहते
हैं लेकिन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में निश्चित
रूप से इसलिए बाल जड़ नहीं जमा पा रहे क्योंकि बेचारे अपने दोनों हाथों को
इन दिनों लगातार एक-दूसरे पर पूरी ताकत और मनोयोग से मले जा रहे हैं। बड़बोले नीतीश कुमार ने खुद
को खुद ही भारत के प्रधानमंत्री पद का सर्वोत्तम उम्मीदवार घोषित कर दिया
था मगर जनता ने उनके इस स्वमूल्यांकन को स्वीकार नहीं किया और उनके दावे को
न केवल पूरी तरह से अस्वीकृत कर दिया बल्कि इस हालत में भी नहीं छोड़ा कि
वे यह कह सकें कि हम चुनाव हारे हैं लेकिन सम्मानजनक तरीके से हारे हैं।
मित्रों,फिर हमारे अभूतपूर्व सुशासन पुरूष नीतीश जी ने बिहार की जनता से अपनी हार का बदला लेने के लिए एक ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना दिया जो वास्तव में किसी गांव का मुखिया होने की योग्यता भी नहीं रखता। परिणामस्वरूप आज बिहार फिर से जंगलराज में पहुँच गया है। पूरे बिहार में इस समय पूरी तरह से अराजकता का साम्राज्य है। जिसके हाथ में लाठी है वह खुलकर अपनी मनमानी कर रहा है और शासन-प्रशासन भी उसकी ही मदद कर रहा है। बिहार के लोगों का सीधा मानना है कि प्रशासन सिर्फ और सिर्फ सज्जनों को दंडित करने और दुर्जनों को सम्मानित करने के लिए है। बिहार सरकार इन दिनों बस इतना ही काम करती हुई दिखाई दे रही है कि नीतीश कुमार के शासनकाल के एक-के-बाद-एक घोटाले इन दिनों सामने आ रहे हैं और पूरी बिहार सरकार उनको बचाने में जुटी हुई है।
मित्रों,फिर भी हमारे भूतपूर्व सुशासन बाबू पूरी बेशर्मी दिखाते हुए गुजरात की सरकार और गुजरात के विकास मॉडल को गरिया रहे हैं वो भी इसलिए क्योंकि कुछ दिन पहले एक भैंस किसी तरह से सूरत हवाई अड्डा परिसर में घुस गई थी और हवाई जहाज के आगे आ गई थी। निश्चित रूप से यह एक दुर्घटना थी और इसको एक दुर्घटना के रूप में ही लेना चाहिए लेकिन नीतीश जी ठहरे घोर सिद्धान्तवादी राजनीतिज्ञ सो वे इस पर भी राजनीति करने लगे जबकि उनके बड़े भाई लालू जी के आतंक राज (नीतीश कुमार जी के ही शब्दों में) में पटना हवाई अड्डे के परिसर में अक्सर नीलगायें घुस जाती थीं और इसके चलते घंटों वहाँ विमान का उड़ना और उतरना रूका रहता था। वैसे नीतीश जी के समय शायद ऐसा नहीं हुआ लेकिन अब बिहार के हर खेत में वही नीलगाय घुस चुकी हैं और उनके चलते बिहार में खेती करना घाटे का सौदा बन गया है। माफ करिएगा मैं एक आम बिहारी का रोना लेकर आपके पास बैठ गया। तो मैं कह रहा था कि अगर आप एक पर्यटक के तौर पर ऐतिहासिक बिहार का दौरा करना चाहते हैं तो एक बार जरूर आपको अपने दुस्साहस पर पुनर्विचार कर लेना चाहिए क्योंकि हवाई अड्डे से बाहर आने के बाद आपके साथ कुछ भी कुछ भी हो सकता है क्योंकि बिहार में इन दिनों फिर से जंगल राज कायम हो चुका है। अगर आप अकेले आ रहे हैं तब तो फिर भी आपका अपराध क्षम्य है लेकिन अपनी पत्नी और बेटी के साथ आ रहे हैं तो जरूर आपको अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर लेना चाहिए क्योंकि इन दिनों हमारी बिहार पुलिस का मूल मंत्र यह है कि बिहार में रहने और आनेवाले लोग अपनी,अपने परिजनों और अपने सामान की रक्षा स्वयं करें। कोई न्यायालयकर्मी न्याय नहीं मिलने पर एसपी कार्यालय गेट के समक्ष आत्मदाह कर रहा है तो किसी लड़की को इस बात की चिंता है कि उसके दबंग पट्टीदार कहीं उसका तीसरी बार अपहरण न कर लें और इस डर से वो पूरे परिवारसहित घर-बार छोड़कर होटल में रूकी हुई है।
मित्रों,सबसे पहले तो आपसे टेंपो या टैक्सीवाला मनमाना पैसा मांगेगा। फिर होटलवाला आपको लूटेगा। उस पर गजब यह कि आपकी कहीं शिकायत भी नहीं सुनी जाएगी। थाने में जाएंगे तो आपको पुलिसवाला ही लूट लेगा फिर हो सकता है कि आपके पास घर वापस लौटने के लिए भी पैसे नहीं बचें। पटना के सड़क-छाप होटलों में तो आप महिलाओं के साथ रूकने की सोंचिए भी नहीं,नहीं तो जान से भी जाएंगे और ईज्जत से भी। हाँ,अकेला होने पर रूक सकते हैं लेकिन ऐसा तभी करें जब आपने फिरौती में देने के लिए लाखों-करोड़ों रूपये अलग करके रख छोड़ा हो। और अगर आप किसी भी कारण से गांधी मैदान जा रहे हैं तो एम्बुलेंस लेकर ही जाईए तो अच्छा क्योंकि हो सकता है कि आप वहाँ जाएँ टैक्सी से और वापस जिंदा या मुर्दा आएँ एम्बुलेंस में। तो यह है संक्षेप में नीतीश कुमार जी के विकास मॉडल वाले बिहार और बिहार सरकार की हालत लेकिन नीतीश जी को देखिए कि वे छलनी हँसे सूप पर जिसमें खुद ही एक हजार छेद वाली महान थेथरई वाली कहावत को चरितार्थ करने में लगे हैं। नीतीश जी माना कि गुजरात के विकास की तस्वीरें फोटोशॉप से संपादित करके बनाई गई थीं लेकिन बिहार के जो लाखों लोग गुजरात की फैक्ट्रियों में मजदूरी करके पेट पाल रहे हैं क्या वे अपने घर पर पैसा भी फोटोशॉप से ही भेजते हैं? और अभी हाल में ही सूरत के एक हीरा व्यवसायी ने अपने कर्मियों को जो कारें दिवाली-उपहार में दे दीं क्या वह खबर और उससे संबंधित तस्वीरें भी फोटोशॉप का ही कमाल थीं? नीतीश जी गुजरात मॉडल अगर फेल हो चुका है तो फिर टीवी कैमरों पर वहाँ के विकास की जो तस्वीरें दिखाई जाती हैं वो क्या बिहार में ली गई तस्वीरें होती हैं? अगर गुजरात में रोजगार नहीं है,नैनो,रिलायंस,सूती-कपड़ा उद्योग,हीरा-पॉलिशिंग उद्योग,24 घंटे बिजली कुछ भी नहीं है तो फिर वहाँ रहनेवाले लाखों बिहारियों को रोजगार क्या नीतीश कुमार जी दे रहे हैं? आपके मॉडल ने बिहार की शिक्षा और प्रशासन को चौपट कर दिया,पूरे बिहार को शराबी बना दिया,पंचायत से लेकर सचिवालय तक भाई-भतीजावाद,भ्रष्टाचार और रिश्वत को सरकारी रस्म बना दिया,बिना पैसे दिए नौकरी पाना असंभव बना दिया,बरसात में रोज आपके राज में बनाए गए पुल कभी यहाँ तो कभी वहाँ गिरते रहे,लाख छिपाने और दबाने का बावजूद रोज ही आपके शासन-काल के घोटाले सामने आ रहे हैं,कोसी के बाढ़-पीड़ित जलप्रलय के 6 साल बाद भी राहत का इंतजार कर रहे हैं और आपको फिर भी अपना मॉडल गुजरात के मॉडल से भी बेहतर नजर आ रहा है? आप गुजरात में दिन गुजारने के विज्ञापन का मजाक उड़ाने के बदले यह क्यों नहीं कहते कि जिसकी लाठी उसकी भैंस को चरितार्थ होते प्रत्यक्ष देखिए,कुछ दिन तो गुजारिए बिहार में? शायद आपके इन शब्दों में निवेदन करने से बिहार में एडवेंचर को पसंद करनेवाले पर्यटकों की आमद अचानक बढ़ जाए और आपके हाथों बिहार का कुछ भला हो ही जाए ।
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
मित्रों,फिर हमारे अभूतपूर्व सुशासन पुरूष नीतीश जी ने बिहार की जनता से अपनी हार का बदला लेने के लिए एक ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना दिया जो वास्तव में किसी गांव का मुखिया होने की योग्यता भी नहीं रखता। परिणामस्वरूप आज बिहार फिर से जंगलराज में पहुँच गया है। पूरे बिहार में इस समय पूरी तरह से अराजकता का साम्राज्य है। जिसके हाथ में लाठी है वह खुलकर अपनी मनमानी कर रहा है और शासन-प्रशासन भी उसकी ही मदद कर रहा है। बिहार के लोगों का सीधा मानना है कि प्रशासन सिर्फ और सिर्फ सज्जनों को दंडित करने और दुर्जनों को सम्मानित करने के लिए है। बिहार सरकार इन दिनों बस इतना ही काम करती हुई दिखाई दे रही है कि नीतीश कुमार के शासनकाल के एक-के-बाद-एक घोटाले इन दिनों सामने आ रहे हैं और पूरी बिहार सरकार उनको बचाने में जुटी हुई है।
मित्रों,फिर भी हमारे भूतपूर्व सुशासन बाबू पूरी बेशर्मी दिखाते हुए गुजरात की सरकार और गुजरात के विकास मॉडल को गरिया रहे हैं वो भी इसलिए क्योंकि कुछ दिन पहले एक भैंस किसी तरह से सूरत हवाई अड्डा परिसर में घुस गई थी और हवाई जहाज के आगे आ गई थी। निश्चित रूप से यह एक दुर्घटना थी और इसको एक दुर्घटना के रूप में ही लेना चाहिए लेकिन नीतीश जी ठहरे घोर सिद्धान्तवादी राजनीतिज्ञ सो वे इस पर भी राजनीति करने लगे जबकि उनके बड़े भाई लालू जी के आतंक राज (नीतीश कुमार जी के ही शब्दों में) में पटना हवाई अड्डे के परिसर में अक्सर नीलगायें घुस जाती थीं और इसके चलते घंटों वहाँ विमान का उड़ना और उतरना रूका रहता था। वैसे नीतीश जी के समय शायद ऐसा नहीं हुआ लेकिन अब बिहार के हर खेत में वही नीलगाय घुस चुकी हैं और उनके चलते बिहार में खेती करना घाटे का सौदा बन गया है। माफ करिएगा मैं एक आम बिहारी का रोना लेकर आपके पास बैठ गया। तो मैं कह रहा था कि अगर आप एक पर्यटक के तौर पर ऐतिहासिक बिहार का दौरा करना चाहते हैं तो एक बार जरूर आपको अपने दुस्साहस पर पुनर्विचार कर लेना चाहिए क्योंकि हवाई अड्डे से बाहर आने के बाद आपके साथ कुछ भी कुछ भी हो सकता है क्योंकि बिहार में इन दिनों फिर से जंगल राज कायम हो चुका है। अगर आप अकेले आ रहे हैं तब तो फिर भी आपका अपराध क्षम्य है लेकिन अपनी पत्नी और बेटी के साथ आ रहे हैं तो जरूर आपको अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर लेना चाहिए क्योंकि इन दिनों हमारी बिहार पुलिस का मूल मंत्र यह है कि बिहार में रहने और आनेवाले लोग अपनी,अपने परिजनों और अपने सामान की रक्षा स्वयं करें। कोई न्यायालयकर्मी न्याय नहीं मिलने पर एसपी कार्यालय गेट के समक्ष आत्मदाह कर रहा है तो किसी लड़की को इस बात की चिंता है कि उसके दबंग पट्टीदार कहीं उसका तीसरी बार अपहरण न कर लें और इस डर से वो पूरे परिवारसहित घर-बार छोड़कर होटल में रूकी हुई है।
मित्रों,सबसे पहले तो आपसे टेंपो या टैक्सीवाला मनमाना पैसा मांगेगा। फिर होटलवाला आपको लूटेगा। उस पर गजब यह कि आपकी कहीं शिकायत भी नहीं सुनी जाएगी। थाने में जाएंगे तो आपको पुलिसवाला ही लूट लेगा फिर हो सकता है कि आपके पास घर वापस लौटने के लिए भी पैसे नहीं बचें। पटना के सड़क-छाप होटलों में तो आप महिलाओं के साथ रूकने की सोंचिए भी नहीं,नहीं तो जान से भी जाएंगे और ईज्जत से भी। हाँ,अकेला होने पर रूक सकते हैं लेकिन ऐसा तभी करें जब आपने फिरौती में देने के लिए लाखों-करोड़ों रूपये अलग करके रख छोड़ा हो। और अगर आप किसी भी कारण से गांधी मैदान जा रहे हैं तो एम्बुलेंस लेकर ही जाईए तो अच्छा क्योंकि हो सकता है कि आप वहाँ जाएँ टैक्सी से और वापस जिंदा या मुर्दा आएँ एम्बुलेंस में। तो यह है संक्षेप में नीतीश कुमार जी के विकास मॉडल वाले बिहार और बिहार सरकार की हालत लेकिन नीतीश जी को देखिए कि वे छलनी हँसे सूप पर जिसमें खुद ही एक हजार छेद वाली महान थेथरई वाली कहावत को चरितार्थ करने में लगे हैं। नीतीश जी माना कि गुजरात के विकास की तस्वीरें फोटोशॉप से संपादित करके बनाई गई थीं लेकिन बिहार के जो लाखों लोग गुजरात की फैक्ट्रियों में मजदूरी करके पेट पाल रहे हैं क्या वे अपने घर पर पैसा भी फोटोशॉप से ही भेजते हैं? और अभी हाल में ही सूरत के एक हीरा व्यवसायी ने अपने कर्मियों को जो कारें दिवाली-उपहार में दे दीं क्या वह खबर और उससे संबंधित तस्वीरें भी फोटोशॉप का ही कमाल थीं? नीतीश जी गुजरात मॉडल अगर फेल हो चुका है तो फिर टीवी कैमरों पर वहाँ के विकास की जो तस्वीरें दिखाई जाती हैं वो क्या बिहार में ली गई तस्वीरें होती हैं? अगर गुजरात में रोजगार नहीं है,नैनो,रिलायंस,सूती-कपड़ा उद्योग,हीरा-पॉलिशिंग उद्योग,24 घंटे बिजली कुछ भी नहीं है तो फिर वहाँ रहनेवाले लाखों बिहारियों को रोजगार क्या नीतीश कुमार जी दे रहे हैं? आपके मॉडल ने बिहार की शिक्षा और प्रशासन को चौपट कर दिया,पूरे बिहार को शराबी बना दिया,पंचायत से लेकर सचिवालय तक भाई-भतीजावाद,भ्रष्टाचार और रिश्वत को सरकारी रस्म बना दिया,बिना पैसे दिए नौकरी पाना असंभव बना दिया,बरसात में रोज आपके राज में बनाए गए पुल कभी यहाँ तो कभी वहाँ गिरते रहे,लाख छिपाने और दबाने का बावजूद रोज ही आपके शासन-काल के घोटाले सामने आ रहे हैं,कोसी के बाढ़-पीड़ित जलप्रलय के 6 साल बाद भी राहत का इंतजार कर रहे हैं और आपको फिर भी अपना मॉडल गुजरात के मॉडल से भी बेहतर नजर आ रहा है? आप गुजरात में दिन गुजारने के विज्ञापन का मजाक उड़ाने के बदले यह क्यों नहीं कहते कि जिसकी लाठी उसकी भैंस को चरितार्थ होते प्रत्यक्ष देखिए,कुछ दिन तो गुजारिए बिहार में? शायद आपके इन शब्दों में निवेदन करने से बिहार में एडवेंचर को पसंद करनेवाले पर्यटकों की आमद अचानक बढ़ जाए और आपके हाथों बिहार का कुछ भला हो ही जाए ।
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें