मित्रों, इस समय भारत-चीन सीमा से जो समाचार प्राप्त हो रहे हैं उससे पूरे भारत में खुशी की लहर दौड़ रही है। भारत के दृढ़ रूख के चलते चीन को यह समझ में आ गया है कि युद्ध से उसे कहीं ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। भारत-चीन तनाव के समय न सिर्फ भारत सरकार ने चीन को स्पष्ट संकेत दिया बल्कि भारत की सामान्य जनता ने भी चट्टानी एकता का प्रदर्शन किया। हालांकि चीन ने अपनी स्थिति से पीछे हटना शुरू कर दिया है लेकिन भारत को आगे भी सचेत रहना चाहिए क्योंकि धोखा चीन के चरित्र में है। १९६२ की गर्मियों में भी चीन भारतीय सीमा से पीछे हटा था। तब भी सरकार के पक्ष में मीडिया कसीदे गढ़ रही थी लेकिन जैसे ही ठंड शुरू हुई चीन ने हमला कर दिया और भारत सरकार सन्न रह गई।
मित्रों, हम जानते हैं कि तब भारत के पास सीमापार की स्थिति बताने वाले उपकरण नहीं थे लेकिन आज भारत के पास खुद के ऐसे उपग्रह हैं। साथ ही उसकी सहायता के लिए अमेरिका, इजरायल, जापान, फ्रांस आदि देश भी हैं। जहां सवाल राष्ट्रीय सुरक्षा का हो वहां किसी भी तरह की कोताही खतरनाक हो सकती है। फिर चीन का तो उसके सारे पड़ोसियों के साथ सीमा-विवाद है। १९७९ में वियतनाम जैसे छोटे देश के हाथों करारी हार झेलने वाला चीन खुद को एशिया का चौधरी समझने लगा है और वह यह अच्छी तरह जानता है कि उसके मार्ग का सबसे बड़ा कांटा भारत है इसलिए भी भारत को ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है न सिर्फ सीमा पर बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी। भारत को जल्द से जल्द चीन पर अपनी निर्भरता समाप्त करनी होगी क्योंकि भारत और चीन के बीच व्यापार में व्यापार संतुलन एकतरफा तरीके से चीन के पक्ष में है। अगर एक रूपए का व्यापार दोनों देशों के बीच होता है तो चीन हमारे हाथों बारह आने का सामान बेचता है और हम उसको मात्र चार आने का सामान बेच पाते हैं।
मित्रों, इतके साथ ही भारत ने इस समय जो रक्षा समझौते रूस,फ़्रांस और अमेरिका से किए हैंउनको निर्धारित समय पर पूरा करने की दिशा में कोई भी शिथिलता नहीं बरती जानी चाहिए. कोशिश यही होनी चाहिए कि शीघ्रातिशीघ्र हमें वो विमान और मिसाइलें प्राप्त हो जाएँ जो हमारी सुरक्षा और चीन को टक्कर देने के लिए जरूरी हैं. साथ ही भारतीय सैनिकों को अब चीन की सीमा पर भी सालोंभर पूरी तैयारी के साथ जमा रहना पड़ेगा अन्यथा चीन कभी भी भारत के साथ कारगिल जैसे खेल कर सकता है और तब भारत को काफी परेशानी होगी. इसके अलावे भारत-चीन सीमा पर चल रहे सड़क और हवाई अड्डों के निर्माण में भी तेजी लानी होगी.
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