सोमवार, 20 जुलाई 2020

पेटा ने सिर्फ हिन्दुओं को क्यों लपेटा


मित्रों, क्या आपने कभी रक्षाबंधन पर पशुबलि दी है? क्या आपने उस दिन मांस खाया है? अच्छा आप यह बताईए कि उस दिन आपने कभी चमड़े से बनी राखी बाँधी है? आप कहेंगे कि मैं पागल हो गया हूँ नहीं तो ऐसे अनर्गल सवाल नहीं पूछता क्योंकि रक्षाबंधन पूरी तरह से शाकाहारी त्योहार है. उस दिन न तो हम हिन्दू पशुबलि देते हैं, न ही मांस खाते हैं और न ही चमड़े से बनी राखी ही बांधते हैं. तो फिर ये पेटा वालों को क्या हो गया है जो वे रक्षाबंधन पर हम हिन्दुओं से पशुओं की रक्षा करने की अपील कर रहे हैं. जी हाँ आपने सही समझा पेटा यानि People for the Ethical Treatment of Animals जिसका मुख्यालय अमेरिका के वर्जिनिया में है ने इस बार हिन्दुओं के पावन पर्व राखी पर जो पूरी तरह से शाकाहारी त्योहार है भारत के सात महानगरों में होर्डिंग लगाकर हिन्दुओं से पशुओं की रक्षा करने की अपील की है.
मित्रों, आप कहेंगे कि राखी से चार दिन पहले बकरीद है जिस दिन दुनियाभर के अरबों मुसलमान एकसाथ अरबों पशुओं की बलि देते हैं जिसमें गाएँ, ऊंट, भेंड और बकरे शामिल होते हैं तो पेटा ने जरुर बकरीद पर निर्दोष पशुओं की बलि नहीं देने की अपील मुसलमानों से की होगी. यही तो कमाल है इस महान विश्वव्यापी संगठन पेटा का कि इसे कदाचित बकरीद के बारे में कुछ भी पता नहीं है. शायद पेटा वाले भी आमिर खान की तरह इस गोले के निवासी नहीं हैं बल्कि दूसरे गोले से आए हैं.
मित्रों, इन सारे ढोंगी, पाखंडी, हिंदुविरोधी और छद्मधर्मनिरपेक्षतावादी संगठनों की शुरुआत से ही यही हालत है.जब भी जहाँ भी मुसलमानों की बात आती है इनकी जीभ इनके हलक में घुस जाती है. कई बार तो ऐसे संगठन हिन्दुओं के  पीड़ित होने पर भी उन्हें दोषी बता देते हैं जैसे कि इन दिनों दिल्ली की केजरीवाल सरकार के अंतर्गत काम करनेवाले अल्पसंख्यक आयोग की जाँच समिति बता रही है. समिति का मानना है कि दिल्ली का इस साल फरवरी का दंगा एकतरफा तौर पर हिन्दुओं ने किया. अंकित शर्मा ने खुद अपने ही हाथों अपने शरीर पर कई सारे चाकुओं से ४०० बार प्रहार किया, रतनलाल ने खुद अपने ऊपर पत्थरों की बरसात कर ली और दिलबर सिंह नेगी ने खुद अपने दोनों पैर काट डाले और उसके बाद खुद ही जलती हुई आग में कूद गया. साथ ही शाहरुख़ खान ने पुलिसवाले पर रिवाल्वर नहीं तानी बल्कि पुलिसवाले ने उस पर रिवाल्वर तान रखी थी. वो बेचारा तो नमाज पढ़ रहा था। इतना ही नहीं ताहिर हुसैन हिन्दुओं और हिन्दुओं के घरों पर पेट्रोल बम फेककर उनकी रक्षा कर रहा था. हिन्दुओं ने अपने स्कूल, गाड़ियाँ और दुकानें खुद ही जलाई डालीं मुसलमान तो उस आग को पेट्रोल से बुझा रहे थे.
मित्रों, हिन्दुओं के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. पालघर में हिन्दू संतों को मार दिया जाता है और फिर कह दिया जाता है कि वे चोर थे. इसी तरह गोधरा में मुसलमान ट्रेन में आग लगा कर ५५ हिन्दुओं को जिन्दा जला देते हैं लेकिन बनर्जी आयोग कहता है कि आग बोगी के भीतर से लगी थी बाहर से लगी ही नहीं. और अब पेटा वाले मुसलमानों को यह समझाने के बदले कि बकरीद पर पशु-हत्या नहीं करो हिन्दुओं को राखी पर गायों को नहीं मारने की सलाह दे रहे हैं जबकि वे जानते हैं कि हिन्दुओ के लिए गाएँ माता के समान है. साथ ही रक्षा बंधन पूरी तरह से शाकाहारी त्योहार भी है। उधर, ५ अगस्त को प्रधानमंत्री के अयोध्या जाने से शरद पवार सहित सारे मुस्लिम नेता परेशान हैं और वे निकट भविष्य में ५ अगस्त को कैलेंडर से हटाने की मांग करनेवाले हैं।

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