शनिवार, 4 जुलाई 2020

प्रधानमंत्री की लेह यात्रा के बाद गेंद चीन के पाले में


मित्रों, ७० साल की उम्र में भी भारत केप्रधानमंत्री कब क्या कर जाएँ कोई नहीं जानता. कल पूरी दुनिया को हतप्रभ करते हुए पीएम अचानक लद्दाख की राजधानी लेह पहुँच गए और चीन के खिलाफ अग्रिम मोर्चों पर तैनात सैनिकों का मनोबल बढ़ानेवाला जबरदस्त भाषण दिया. प्रधानमंत्री ने चीन को स्पष्ट कर दिया कि भारत अब एक ईंच भी जमीन उसे नहीं देनेवाला भले ही उसे मानव इतिहास का भीषणतम युद्ध ही क्यों न लड़ना पड़े. प्रधानमंत्री ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि आज का युग विस्तारवाद का युग नहीं है बल्कि विकासवाद का युग है. प्रधानमंत्री ने अपने परम ओजस्वी भाषण में कहा कि फिर भी अगर कोई देश इस सच्चाई को नहीं समझता है तो उसका विनाश निश्चित है.
मित्रों, भारत के ७० साल के जवान प्रधानमंत्री ने अपने २६ मिनट लम्बे भाषण में कहा कि भारत की शांतिपूर्ण नीति को भारत की कमजोरी नहीं समझना चाहिए क्योंकि भारत के जो श्रीकृष्ण शांतिकाल में बांसुरी की मनमोहक धुन से पूरी दुनिया को मोहित करने की क्षमता रखते हैं युद्ध काल में वही श्रीकृष्ण अपने चक्र सुदर्शन से शत्रुओं का सम्पूर्ण विनाश करना भी जानते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि कमजोर देश शांति की स्थापना नहीं कर सकते क्योंकि धरती वीरों के भोगने के लिए बनी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज जल, थल, नभ और अन्तरिक्ष में अपनी ताकत अगर बढा रहा है तो इसके पीछे लक्ष्य शांति ही है. इतिहास गवाह है कि भारत ने कभी किसी भी देश पर आक्रमण नहीं किया भले ही वो कितना छोटा देश हो. इस अवसर पर सीमा पर महिला सैनिकों की तैनाती को देखकर रोमांचित प्रधानमत्री ने कहा कि मैं अपने सामने महिला सैनिक भी देख रहा हूं। सीमा पर जंग के हालात में यह देखना प्रेरणादायक है।
मित्रों, भारत के प्रधानमंत्री ने वंदेमातरम् और भारतमाता की जय के नारों के बीच कहा कि आज जिस कठिन परिस्थिति में आप सैनिक जिस तरह देश की हिफाजत कर रहे हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता। आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है, जहां आप तैनात हैं। उन्होंने कहा कि लेह-लद्दाख से लेकर कारगिल और सियाचिन तक, रेंजागला की बर्फीली चोटियों से लेकर गलवान घाटी के ठन्डे पानी की धारा तक, हर छोटी, हर पहाड़, हर कंकड़-पत्थर, हर जर्रा-जर्रा भारतीय सैनिकों के अद्भुत पराक्रम की गवाही दे रहे हैं. इसके बाद प्रधानमंत्री निमू गए जहाँ उन्होंने १५ जून को चीन द्वारा धोखे से किए गए हमले में घायल जवानों से मुलाकात की. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सैनिकों से कहा कि आप जो सेवा करते हैं उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता है।आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा जहां आप तैनात हैं। आपकी भुजाएं उन चट्टानों से भी मज़बूत है,आज आपके बीच आकर मैं इसे महसूस कर रहा हूं.
मित्रों, इस तरह भारत के यशस्वी और परम तेजस्वी प्रधानमंत्री ने आक्रान्ता चीन और शेष दुनिया को भारत की मंशा बता दी है. उन्होंने बता दिया है कि यह १९६२ के नहीं २०२० का भारत है और आज के भारत ने भारत ने कुत्तों के आगे रोटी फेंकना बंद कर दिया है. अब यह फैसला चीन को करना है कि वो विकास चाहता है या अपना सम्पूर्ण विनाश. भारत के वीरों का समर्पण और अतुल्य पराक्रम वह १५ जून को देख चुका है जब भारत के निहत्थे सैनिकों ने चीन के हथियारबंद सैनिकों की धोखेबाजी का करारा जवाब देते हुए चीन के चार दर्जन से भी ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था. यह पूरी दुनिया प्रथम विश्वयुद्ध के समय से ही जानती है कि जमीनी लडाई में भारतीय सैनिक लाजवाब हैं. बस रणभेरी बजने की देरी है. युद्ध का बिगुल बजते ही भारत के वीर चीन में ऐसी तबाही मचाएँगे कि चीन का महाशक्ति होने का अहंकार उसकी खुद की मिटटी में मिलकर चकनाचूर हो जाएगा.

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