मित्रों, जबसे उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है तभी से उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई हुई है। पहले रोमियो स्क्वायड और फिर मुठभेड़ों की झड़ी. कहा जाता है कि स्थिति ऐसी हो गई है कि अपराधी कोर्ट में जमानत रद्द करने की अर्जी देने लगे। मीडिया ऐसा प्रदर्शित करने लगी मानो उत्तर प्रदेश में रातों रात राम राज्य आ गया.
मित्रों, जय-जयकार करने में जुटी मीडिया कदाचित यह भूल गयी थी कि जिस तरह देश के बांकी राज्यों की पुलिस भारत की सबसे भ्रष्ट संगठन है उसी तरह उत्तर प्रदेश की पुलिस भी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। सारी सख्तियाँ और कार्रवाई तो ऊपरी दिखावा मात्र है भीतर तो उसी तरह भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है जैसे पहले बह रही थी. माना कि गंगोत्री साफ है लेकिन आगे जो गंदे नाले गंगा में मिल रहे हैं उनका क्या.
मित्रों, अचानक घटी कानपुर की एकतरफा मुठभेड़ की घटना ने मखमली कालीन के नीचे छिपी उसी गंदगी को उजागर करके रख दिया है। यह कितना दुखद है कि शहीद डीएसपी देवेंद्र मिश्र लगातार दारोगा विनय तिवारी के खिलाफ विकास दूबे का सहायक होने के आरोप लगाते हुए एस एस पी को पत्र लिखते रहे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। यहाँ तक कि पत्र को गायब भी कर दिया गया. विकास दूबे की गिरफ्तारी के लिए जाते समय भी डीएसपी ने एसएसपी से अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की जो उन्हें उपलब्ध नहीं करवाई गई। पुलिस जब तक विकास दूबे के घर पहुंचती उससे कई घंटे पहले दारोगा और कई अन्य उसके दरबारी पुलिसकर्मियों ने फोन कर दूबे को सचेत कर दिया था। जाहिर है कानपुर पुलिस में कई ऐसे अधिकारी और सिपाही हैं जो वेतन तो सरकार से पाते हैं लेकिन ड्यूटी विकास दूबे की करते हैं।
मित्रों, अब जबकि यूपी पुलिस के आठ जवान शहीद हो चुके हैं शासन-प्रशासन लाठी पीट रहा है। लेकिन उससे होगा क्या? क्या यूपी पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा? क्या सारे भ्रष्ट अधिकारी अचानक सुधर जाएँगे? नहीं, कदापि नहीं. इसके लिए पूरे तंत्र की पूरी ओवरहौलिंग करनी पड़ेगी. इस देश में जबकि हर पद पर भ्रष्टाचारी बैठे हैं ऐसे में क्या योगी इस दिशा में सफल हो पाएँगे? इन तमाम सवालों के बावजूद आशा की जानी चाहिए कि उत्तर प्रदेश सरकार इस बार पुलिस-अपराधी गठजोड़ और पुलिसिया भ्रष्टाचार को तोड़ने और समाप्त करने की दिशा में निर्णायक कदम उठायेगी। साथ ही उन राजनीतिज्ञों के खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई करेगी जो अपराधियों को संरक्षण देते हैं भले ही वह नेता भाजपा का हो और कितना भी शक्तिशाली हो। अन्यथा आगे भी इसी तरह ईमानदार अधिकारी और सिपाही शहीद होते रहेंगे और भ्रष्ट अधिकारियों की मौज रहेगी।
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