बुधवार, 15 जुलाई 2020

हिन्दू भी धारण करें कृपाण

 
मित्रों, महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की पीट-पीटकर हत्या के मामले ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी। अब ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के मेरठ में आया है। यहां शिव मंदिर के साधु की पीट-पीटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई है। हत्या का आरोप फिर से मुसलमानों पर लगा है। इधर साधु की हत्या के मामले ने तूल पकड़ा और उधर शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन शुरू हो गया। पुलिस ने कहा है कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। घटना मेरठ के भावनपुर की है। अब्दुलापुर बाजार में एक शिव मंदिर हैं। बताया जा रहा है कि मंदिर में ही गांव के कांति प्रसाद की दुकान थी और वह मंदिर कमिटी के उपाध्यक्ष भी थे। वह मंदिर की साफ-सफाई के साथ पुजारी का काम भी देखते थे। बताया जा रहा है कि कांति गले में भगवा रंग का गमछा डालते थे और पीले रंग के कपड़े पहनते थे।
मित्रों, सोमवार को कांति गंगानगर में बिजली का बिल जमा करने गए थे। आरोप है कि लौटते समय ग्लोबल सिटी के पास गांव के ही अनस कुरैशी उर्फ जानलेवा ने कांति के भगवा गमछे को लेकर कथित धार्मिक टिप्पणी की और मजाक बनाया। अनस के मजाक करने का कांति ने विरोध किया, जिसके बाद दोनों के बीच बहस हो गई। आरोप है कि अनस ने कांति की सड़क पर ही जमकर पिटाई की और भाग गया। वहां से कांति किसी तरह गांव पहुंचे और अनस के घर जाकर उसकी हरकत की शिकायत की। कांति अनस के घर पर थे तभी पीछे से वह आ गया। आरोप है कि अनस ने एक बार फिर से अपने घरवालों के साथ मिलकर कांति की फिर से जमकर पिटाई की और वहां से बाइक लेकर भाग गया। कांति के परिजनों को जब उनकी पिटाई की सूचना मिली तो वे लोग उन्हें लेकर थाने पहुंचे। यहां उनकी हालत बिगड़ गई। घरवाले कांति को लेकर अस्पताल पहुंचे जहां मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान कांति की मौत हो गई। कांति प्रसाद की तहरीर पर पुलिस ने अनस के खिलाफ धार्मिक टिप्पणी करने, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली। मंगलवार को इलाज के दौरान कांति की मौत हो गई। साधु की मौत की सूचना पर कई हिंदू संगठन थाने पर पहुंचे और हंगामा करने लगे। मामला बढ़ने पर पुलिस ने अनस को गिरफ्तार कर लिया। एसओ संजय कुमार ने कहा कि अनस को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है, अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। तनाव को देखते हुए गांव में फोर्स तैनात कर दी गई है।
मित्रों, मैं पूछता हूँ कि आखिर कब तक यह सिलसिला चलता रहेगा? आखिर कब तक हम हिन्दू एकतरफ़ा तौर पर पिटते, कटते और मरते रहेंगे? पहले खबर आई कि हिन्दू मेवात से भाग रहे हैं या भाग चुके हैं फिर अलवर से खबर आने लगी. फिर बंगाल से खबर आई कि भाजपा विधायक को मार कर टांग दिया गया है. केरल की दशा भी किसी से छिपी हुई नहीं है. दिल्ली में डॉ. नारंग की घर में घुसकर हत्या कर दी जाती है. कहीं हिन्दू लड़की को एकतरफा प्यार में मार दिया जाता है तो कहीं उनके साथ एकल या सामूहिक बलात्कार होता है. कभी-कभी बलात्कार के बाद उनको मार भी दिया जाता है. लव जिहाद की शिकार लड़कियों की तो बात ही छोडिए. बलात्कार के अधिकतर मामलों में बलात्कारी मुसलमान और पीड़ित लड़कियां हिन्दू होती हैं. ऐसा लगता है जैसे हिंदुस्तान के हिन्दू पाकिस्तान के हिन्दुओं की तरह ही इंसान न होकर भेड़-बकरियां हैं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? मैं समझता हूँ कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हिन्दू हर घडी निहत्था रहता है और मुसलमान हमेशा हथियारों से लैस होते हैं. ऐसा देखा गया है कि अधिकतर हिन्दुओं को मुसलमान चाकुओं से गोदकर मारते हैं. ऐसे में अगर हिन्दू भी सिखों की तरह कृपाण धारण करने लगें तो उनके ऊपर होनेवाले ज्यादातर हमले अपने आप रूक जाएँगे. इस दिशा में हिन्दू धर्म के धार्मिक नेताओं को आगे आना चाहिए, पहल करनी चाहिए और हिन्दू धर्म में इस नई परंपरा की शुरुआत करनी चाहिए. लद्दाख की पहाड़ियों से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी घोषणा कर चुके हैं कि वीर भोग्या वसुंधरा इसलिए मुझे नहीं लगता कि केंद्र सरकार इस नई परंपरा में किसी तरह की बाधा डालेगी.
मित्रों, भारत में हिन्दू बनकर जीना है तो और कोई उपाय नहीं है. हमें अपने धर्म को एक लड़ाकू कौम में बदलना होगा अन्यथा हम कहाँ-कहाँ से भागेंगे और क्यों भागेंगे? हिंदुस्तान पर पहला अधिकार हिन्दुओं का है न कि अरब देश से आए धर्म का. हिन्दू इस पुण्यभूमि में सनातन काल से रहते आ रहे हैं. हम मुसलमानों को १९४७ में अलग देश भी दे चुके हैं जहाँ हिन्दू एक मंदिर तक नहीं बना सकता. फिर हिन्दुओं को अगर हिंदुस्तान से भागना पड़ा तो जाएँगे कहाँ? हिन्दुओं का कोई दूसरा देश तो है नहीं. इसलिए जैसे भारतीय सेना सीमाओं पर एक-एक ईंच जमीन के लिए लडती है हिन्दुओं को भी अपनी एक-एक ईंच जमीन की रक्षा करनी पड़ेगी और पलायन करना और डरकर जीना बंद करना पड़ेगा.

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