मंगलवार, 16 नवंबर 2010
दीवार नहीं पहाड़ हैं हरभजन
यह हमारे लिए गर्व की बात है कि भारत आज टेस्ट क्रिकेट वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर १ है.हो भी क्यों नहीं उसके पास एक से एक नायाब हीरे जो हैं.लेकिन जो हीरा वर्तमान भारत-न्यूजीलैंड श्रृंखला में सबसे ज्यादा चमक बिखेर रहा है वह है हरभजन सिंह.भारत के नए संकटमोचक.दीवार तो टीम में पहले से ही कई हैं.हरभजन सिंह तो पहाड़ हैं जिसको लांघे बिना किसी भी टीम के लिए भारत पर जीत दर्ज करना असंभव बन चुका है.८ नवम्बर को समाप्त हुए पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में जब उन्हें बल्लेबाजी के लिए उतारा गया तब भारत की स्थिति बहुत ही नाजुक थी.रेडियो पर मैच का आंखो देखाहाल सुना रहे उद्घोषक भारत द्वारा टेस्ट क्रिकेट में बनाए गए न्यूनतम स्कोरों का विश्लेषण करने में लगे थे.दर्शकों ने भी मान लिया था कि आज सबसे कम रन पर सिमटने का नया रिकार्ड बनने जा रहा है.हार को तो लगभग तय माना जा ही रहा था.हार के साथ ही भारत का टेस्ट शिखर पर से फिसलना भी तय था.पहला विकेट गंभीर के रूप में ० पर,दूसरा सहवाग के रूप में १ पर,तीसरा द्रविड़ के रूप में २ पर,चौथा और पांचवां सचिन और रैना के रूप में १५ पर और छठा विकेट कप्तान धोनी के रूप में ६५ पर गिर चुका था.मार्टिन और विटोरी की गेदें आग उगल रही थीं लेकिन हरभजन सिंह तो कुछ और ही सोंचकर उतरे थे.मैदान पर दीवार और संकटमोचक के नाम से प्रसिद्ध अटल इरादोंवाले लक्ष्मण पहले से ही मौजूद थे.एक तरफ दीवार और दूसरी तरफ पहाड़.जब लक्ष्मण ७वें विकेट के रूप में मैदान से बाहर गए तो स्कोरबोर्ड पर २२८ रन दर्ज हो चुके थे और भारत खतरे से बाहर था.लेकिन हरभजन की रनों की भूख अभी मिटी नहीं थी.नौवें विकेट के रूप में जब उन्हें टेलर ने अपना शिकार बनाया तब स्कोरबोर्ड २६० की रन संख्या दर्शा रहा था.हरभजन ने न सिर्फ भारत को चिंताजनक स्थिति से उबारा बल्कि अपने टेस्ट कैरियर का पहला शतक भी लगाया.२७२ मिनट तक क्रीज पर रहते हुए १९३ गेंदों पर ३ आसमानी छक्कों और ११ चौकों की मदद से उन्होंने कुल ११५ रन बनाये और साबित कर दिया कि चाहे खेल हो या जीवन,प्रत्येक क्षेत्र में तकनीक से ज्यादा जज्बा काम करता है.इन छक्कों में वह आसमानी छक्का भी शामिल था जिसके द्वारा उन्होंने अपना शतक पूरा किया.इससे पहले वे पहली पारी में भी ६९ रन बना चुके थे.हालांकि इस मैच में गेंदों के द्वारा वे कोई उल्लेखनीय प्रदर्शन नहीं कर सके लेकिन अपनी बल्लेबाजी के द्वारा उन्होंने न सिर्फ इसकी भरपाई कर दी बल्कि ऐसी परियां खेली कि लोग उनमें भारत के महानतम हरफनमौला कपिलदेव का अस्क देखने लगे.इतना ही नहीं अभी हैदराबाद में चल रहे दूसरे टेस्ट में न्यूजीलैंड की पहली पारी में ४ खिलाडिओं को पेवेलियन का रास्ता दिखा चुकने के बाद पहली पारी में बल्ले से एकबार फ़िर जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए नाबाद १११ रन बना चुके है.इन पारी में भी जबरदस्त आतिशबाजी देखने को मिली.अपने प्रशंसकों के बीच भज्जी के नाम से लोकप्रिय इस जाबांज ने ७ छक्के और ७ चौके लगाए और कभी भी दबाव में नहीं दिखे.हरभजन क्रिकेट ही तरह जीवन में भी हरफनमौला हैं.वे रैम्प के भी चैम्प हैं और ठुमके लगाने में भी उनका जवाब नहीं.विवादों से तो जैसे उनका जन्म-जन्म का नाता है.कभी साइमंड्स पर कथित नस्लभेदी टिपण्णी के चलते तो कभी श्रीसंत को तमाचा मारकर वे सुर्ख़ियों में आते रहे हैं.लेकिन उनके प्रदर्शन पर कभी विवादों का असर नहीं पड़ा.जहाँ तक क्रिकेट कैरियर का प्रश्न है तो मुथैय्या मुरलीधरन की नजर में दुनिया का यह सर्वश्रेष्ठ स्पिनर अब तक ८९ टेस्ट मैचों में 373 विकेट और २१० अंतर्राष्ट्रीय एकदिवसीय मैचों में २३८ विकेट ले चुका है.इतना ही नहीं वे टेस्ट मैचों में १८.५८ के औसत से १८८५ रन और एक दिवसीय मैचों में १३.२४ के औसत से १०५९ रन भी बना चुके हैं.बल्लेबाजी के आंकड़े भले ही बहुत आकर्षक नहीं लग रहे हों लेकिन यह भी ध्यान में रखना पड़ेगा कि जब-जब टीम पर संकट आया है तब-तब हरभजन ने जबरदस्त बल्लेबाजी के द्वारा टीम को उबारा है.यानी इन रनों में से अधिकतर रन जबरदस्त दबाव के क्षणों में बने हैं.अभी भज्जी ने कुछ ही महीने पहले अपना ३०वाँ जन्मदिन मनाया है और अभी कम-से-कम ५-६ साल तो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में रहनेवाले हैं.उन्होंने कई मंजिलें तय की हैं और अभी कई मंजिलें तय करनेवाले हैं हम ऐसी उम्मीद करते हैं.वेलडन भज्जी.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें