मंगलवार, 29 सितंबर 2009

बिगडेगी और बिगडेगी दुनिया यही नहीं रहेगी

हिन्दी फ़िल्म मेला के लिए महान गायक मोहम्मद रफी ने कभी यह गाना गाया था कि बिगडेगी और बनेगी दुनियायही रहेगी. पर उस समय वे नहीं जानते थे कि इतनी जल्दी दुनिया में मानवों का अस्तित्व ही खतरे में पर जाएगा।शायद आप समझे नहीं! मेरा मतलब धरती के बढ़ते तापमान से है जिसे लोग आजकल ग्लोबल वार्मिंग के नाम सेजानते हैं.इस साल देश ने जो अकाल देखा वह अप्रत्याशित नहीं था. ऐसा तो होना ही था. धरती की बढती गरमी कोलेकर कई साल पहले ही दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि भारत और चीन में अगले आनेवाले वर्षों मेंभयंकर जलवायु सम्बन्धी बदलाव देखने को मिल सकते हैं. ग्लोबल वार्मिंग के लिए कहीं-न-कहीं हम-आप सभीजिम्मेदार हैं.यह हम सभी के पापों का परिणाम है। चाहे हमने ऐसा कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित करके किया होया फ़िर बेवजह बिजली बर्बाद करके या फ़िर पैदल जानेलायक जगह पर मोटर से जाकर या फ़िर एयर कन्डीशनका उपयोग करके। अब पाप जो करना था हम कर चुके और परिणाम भी सामने आने लगे हैं. यह सूखा तो बस एकनमूना है. प्रश्न उठता है कि आगे क्या किया जाए? प्रायश्चित! कैसा प्रायश्चित? क्या गंगा-सेवन करते हुए गोबरनिगला जाए. नहीं भइया कम-से-कम इस मामले में तो नहीं. प्रायश्चित के तरीके मैं बताता हूँ जो धरती पर लगेजख्मों पर मरहम का काम करेंगे. बस हमें कुछ सावधानियां बरतनी पड़ेगी.
घर में अगर आप पुराने तरीके वाले बल्ब का उपयोग कर रहे हैं, तो उनकी जगह

सी ऍफ़ एल का उपयोग करें। ७ वाट का सी ऍफ़ एल ४० वाट के बल्ब के बराबर रौशनी देता है। इस तरह आप ८०प्रतिशत तक बिजली बचाकर ग्लोबल वार्मिंग रोकने में सहयोग कर सकते हैं। याद रखिये कि बिजली का लगभग८० प्रतिशत हिस्सा कोयले को जलाकर बनता है, जिससे भारी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।
सार्वजानिक स्थानों पर हेलोजन लैम्पों का प्रयोग न करके एल इ डी का प्रयोग किया जाए। एल इ डी यानि लेडलाइट एमिटिंग डायोड। इससे ४० प्रतिशत तक बिजली की बचत होगी।
आने-जाने के लिए जहाँ तक सम्भव हो बसों का प्रयोग करें। एक शोध के अनुसार कुल कार्बन डाई ऑक्साइडउत्सर्जन का ३० प्रतिशत हिस्सा वाहनों से निकलने वाले धुँए का होता है।
जहाँ तक सम्भव हो डेरा कार्यस्थल से पैदल आ-जा सकने वाली दूरी पर ही रखें। अच्छा हो कि नियोक्ता ख़ुद हीकार्यस्थल के पास ही आवासीय कालोनी बसाये
प्लास्टिक के थैलों को बाय-बाय करें। प्लास्टिक के थैलों ने पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर दी है।यह १००० साल में विघटित होता है और तब तक हवा में जहरीली गैसें छोड़ता रहेगा।
रिसाईकिल द्वारा उत्पादित कागज़ का उपयोग करें। इस तरह आप ५० प्रतिशत तक ऊर्जा बचा सकते हैं जो कि पूरी तरह से नया कागज़ बनाने में लगती। साथ ही भारी संख्या में पेड़ों को भी कटने से बचा सकते हैं।
७ साल में एक पेड़ जरूर लगायें और उसकी देख-भाल सुनिश्चित करें। एक पेड़ साल में लगभग १ टन कार्बन डाई ऑक्साइड को ओक्सिजन में बदल देता है।
८ लाल बत्ती पर या कहीं भी अगर ३० सेकंड से ज्यादा रूकना हो तो गाड़ी का इंजन बंद कर देन।
९ पैकजिंग में कम-से-कम कागज अथवा पोलीथिन का इस्तेमाल करें। अगर आप साल में इसमें १० प्रतिशत की भी कमी ला पाते हैं तो आप ६ क्विंटल कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को रूक पाएंगे।

१० सामान को नजदीकी बाजार से खरीदें और उसे लाने में जलने वाले पेट्रोल-डीजल को तो बचाएं ही साथ-ही-साथ इनके जलने से होनेवाले कार्बन डाई ऑक्साइड को भी हवा में जाने से रोकें।

११ एयर कन्डीशन के फिल्टर को हमेश साफ रखें। इस तरह आप साल में लगभग डेढ़ क्विंटल कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को रोक पाएंगे।
१२ पशुपालक भाई कई कम-कम दूध देनेवाले जानवरों की जगह एक ज्यादा दूध देनेवाले जानवर को पालें, क्योंकि इनके मल-मूत्र से निकलनेवाली मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड गैसें कार्बन डाई ऑक्साइड से क्रमशः २३ और २९६ गुना ज्यादा हरित गृह प्रभाव रखती हैं।





1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

bhaiji aapne jo sujhav dharti ki raksha ke liye sujhaye hain ve sab-ke-sab vyavharik hain. koi jyada pareshani nahin uthate huye bhi is par amal kar sakta hai. main aapko bharosa deta hun ki main yathasambhav in par amal karunga.
-birendra sadhana news, noida