देश महंगाई की बुखार से तप रहा है और हमारी आम लोगों की सरकार मंत्री फाइव स्टार होटल में ऐश कर रहे
थे। उनका दुःख है कि उनको अलॉट किया गया बंगला उनके रहने लायक नहीं है। जब दिल्ली के लुटियन ज़ोन में बने बंगले इन कथित इंसानों के रहने लायक नहीं हैं तब फिर २०-२५ हज़ार में बने इंदिरा आवास कैसे रहने लायक हो सकते हैं, क्या सरकार बताएगी? गाँधी का नाम लेकर वोट मांगने वाली पार्टी ने किस तरह गाँधी और उनके सिद्धांतों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है, उसका इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है?
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