सोमवार, 2 नवंबर 2009

फ्लडलाइट मैच बिजली की बर्बादी

आज फ्लडलाइट में भारत और आस्ट्रेलिया के बीच एकदिवसीय चंडीगढ़ में हो रहा है, दिवा-रात्रि मैच. मोहाली स्टेडियम दुधिया रौशनी में नहाया हुआ है. हजारों वाट के बल्ब जल उठे हैं. दिन-रात के मैच आयोजित करने के पक्ष में क्या तर्क दिए जा सकते हैं मैं नहीं जानना चाहता. लेकिन इन मैचों में बेवजह हजारों वाट बिजली बर्बाद जरूर हो रही है. क्या ये मैच दिन में नहीं कराये जा सकते? पहले होते ही थे. भारत जैसे बिजली की कमी से जूझ रहे देश के लिए जहाँ उद्योगों को देने के लिए ही पर्याप्त बिजली नहीं है खेल-खेल में खेल के लिए बिजली बर्बाद करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता. आखिर दिन में खेलने और खेल देखने में क्या परेशानी है? क्या इसे विलासिता नहीं कहा जाये? मैं भारत सरकार से निवेदन करता हूँ कि संवेदनहीनता का परित्याग करते हुए बीसीसीआई को आदेश दे कि आगे से सभी क्रिकेट मैच दिन में ही आयोजित किये जाएँ. बिजली की बर्बादी कहीं-न-कहीं ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में भी भूमिका निभाता है यह भी हमें नहीं भूलना चाहिए.

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

निश्चित रूप से दिन-रात के मैच पर रोक लगा दी जानी चाहिए. मैं आपसे सहमत हूँ.
अश्विनी, इंदौर