शनिवार, 7 नवंबर 2009
जो बार-बार गलतियाँ दोहराए उसे कांग्रेस कहते हैं
जब मैं मध्य विद्यालय में पढता था तब मेरे गुरु परमपूज्य श्रीराम सिंह एक कहावत दोहराया करते थे-जो कभी गलती करे ही नहीं उसे भगवान कहते हैं, जो एक गलती को सिर्फ एक बार करे अर्थात उसे दोहराए नहीं उसे इन्सान कहते हैं और जो एक ही गलती को बार-बार करे उसे शैतान कहते हैं. लेकिन यहाँ शैतान से मेरा मतलब किसी आदमी से नहीं है बल्कि एक राजनीतिक पार्टी से है.वह पार्टी है कांग्रेस जो भारत की सबसे पुरानी पार्टी भी है.बहुत पहले १९१६ में इसने मुस्लिम लीग से लखनऊ समझौता किया था और उसे मुसलमानों की प्रतिनिधि संस्था मान लेने की गलती की थी जिसकी परिणति भारत के विभाजन के रूप में हुई. बाद में नेहरु की गलतियों के कारण हमें पहले पाकिस्तान और फ़िर चीन के सामने मुंह की खानी पड़ी और हजारों वर्ग किलोमीटर भूमि से हाथ भी धोना पड़ा. कश्मीर में आज भी अलगाववादी हिंसा जारी है.गलतियाँ करने में उनकी बेटी भी कहाँ पीछे रहनेवाली थी. इंदिराजी ने भी पंजाब में अकाली दल की बुद्धि ठिकाने लगाने के लिए कथित संत जरनैल सिंह भिंडरावाले की हर तरह से सहायता की. कालांतर में इस संत की महत्वाकांक्षा इतनी बढ़ गई कि वह पंजाब को भारत से अलग करके स्वतंत्र देश खालिस्तान स्थापित करने के सपने देखने लगा. अंततः इंदिरा गाँधी को आपरेशन ब्लू स्टार का निर्णय लेना पड़ा और खुद अपनी जान देकर गलती का प्रायश्चित करना पड़ा. इन्हीं इंदिरा जी के अंहकार के कारण भारत में आतंरिक आपातकाल लगाना पड़ा और २ वर्षों तक लोकतंत्र जेल में कैद रहा. इंदिरा जी यहीं नहीं रूकीं श्रीलंका सातवे दशक के उत्तरार्द्ध में जातीय दंगों की आग में झुलस रहा था. सैकड़ों तमिल अल्पसंख्यकों की हत्या कर दी गई थी.तमिलनाडु के तटीय इलाकों में शिविर लगवाकर इंदिराजी ने तमिलों को सैनिक शिक्षा दी. फलस्वरूप जन्म हुआ खतरनाक आतंकवादी संगठन एलटीटीई का . श्रीलंका गृहयुद्ध की जिस आग में २५ सालों तक झुलसता रहा उसे चिंगारी दी थी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने. इंदिराजी के बाद प्रधानमंत्री बने उनके पुत्र राजीव. उन्होंने भी माँ और नाना के नक्शे कदम पर चलते हुए श्रीलंका में भारतीय शांति सेना भेजने की गलती की.दूसरों के मामलों में बेवजह टांग अड़ाने का नतीजा हुआ कि सैकडों भारतीय सैनिकों को जान से हाथ धोना पड़ा.बाद में भारतीय सेना को बेआवरू होकर श्रीलंका से वापस लौटना पड़ा. बदला लेने के लिए एलटीटीई ने राजीव गाँधी की ही हत्या कर दी. वर्तमान मनमोहन सिंह की सरकार भी गलतियाँ करने में पीछे नहीं है. ऐसी गलतियाँ जिसका मूल्य भविष्य में भारत को अवश्य चुकाना पड़ेगा. कांटे से कांटा निकलता है की नीति में लगता है कि इस पार्टी को अटूट विश्वास है तभी तो इंदिराजी के भिंडरावाले प्रयोग की तरह ही महाराष्ट्र में वह बाल ठाकरे के खिलाफ उनसे भी कहीं बुरे राज ठाकरे को बढावा दे रही है.राज के कार्यकर्ता जब चाहे तब पूरे महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों को पीटना शुरू कर देते हैं. इस हिंसा में कई लोगों को तो जान से भी हाथ भी धोना पड़ा है.लेकिन राज के खिलाफ जान-बूझकर कमजोर धाराएँ लगाई जाती हैं और वे जमानत पर फ़िर से बाहर आ जाते हैं. इतना ही नहीं राज को बचाने में कानून की रक्षक पुलिस ही जी-जान से लगी हुई प्रतीत हो रही है. निश्चित रूप से राज के कारण कांग्रेस को लाभ और शिवसेना-भाजपा को हानि हुई है. अभी-अभी संपन्न हुए चुनाव इसकी पुष्टि भी करते हैं. लेकिन राज की भी शक्ति बढ़ी है और उनके एक दर्जन से अधिक विधायक विधानसभा में पहुँच गए हैं. राज अतिवादी और हिंसा में विश्वास करनेवाले नेता हैं और अगर वे कांग्रेस के नियंत्रण से बाहर हो गए तो देश को शायद एक और अलगाववादी हिंसक आन्दोलन से निबटना पड़ सकता है. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी से अनुरोध करता हूँ कि वह अभी से भी इतिहास से सबक ले. आखिर उसके दो नेता भूतकाल में इसी तरह की गलतियों के शिकार हो चुके हैं.
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1 टिप्पणी:
ब्रज जी को नमस्कार, सर आपकी बात सही है. कांग्रेस की गलतियाँ सिर्फ उसके लिए ही नहीं पूरे देश को इन गलतियों का मूल्य चुकाना पड़ा है.
अरुण, लखनऊ
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