मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009
आभिजात्यता के पोषक सिब्बल
केंद्र की यूपीए सरकार बात भले ही आम आदमी की करे उसके कई मंत्री आभिजात्यता के अंध समर्थक की तरह व्यवहार करते हैं. अभी विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर द्वारा इकोनोमी क्लास को मवेशियों का बाड़ा कहने का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि उसके एक और मंत्री कानूनी दांव-पेंच में माहिर कपिल सिब्बल ने यह कहकर हंगामा खडा कर दिया है कि आईआईटी में फॉर्म भरने के लिए निर्धारित बारहवीं के प्राप्तांक को बढाकर ८०-८५ प्रतिशत किया जायेगा. निहितार्थ यह कि अब भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से आनेवाले छात्र-छात्राएं इस परीक्षा से वंचित कर दी जाएँगी. राहुल गाँधी के शब्दों में अगर हम कहें तो अब केवल इंडिया से आनेवाले लोग ही इंजिनियर बनेंगे भारत में रहनेवाले लोगों के लिए इंजीनियरिंग में प्रवेश का यह राजपथ बंद हो जायेगा. अब यह तो कांग्रेस नेतृत्व को ही पता होगा कि आम आदमी की सरकार को आम आदमी के साथ होना चाहिए या आभिजात्य वर्ग के पक्ष में. अगर अब भी यह सरकार अपने को आम आदमी की सरकार कहती है तो इसे परले दर्जे की बेशर्मी ही कही जायेगी.
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