शनिवार, 10 अक्तूबर 2009
सौर ऊर्जा पर खर्च बढाये सरकार
विशेषज्ञों द्वारा देश में सौर ऊर्जा क्षेत्र में अपार संभावनाओं की बातें बार-बार करने के बावजूद न जाने क्यों भारत सरकार आँखें मूंदें बैठी है? जब फारूख अब्दुल्ला को अपारंपरिक ऊर्जा मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था तब यह उम्मीद जगी थी कि देर से ही सही अब सरकार सौर ऊर्जा पर ज्यादा ध्यान देगी। लेकिन समय बीतने के साथ यह उम्मीद भी दम तोड़ने लगी है। जहाँ तक संभावनाओं का प्रश्न है तो आज ही आया वर्ल्ड इंस्टिट्यूट ऑफ़ सस्तेनाबल एनर्जी यानि वाईज के मुखिया जी एम पिल्लई का बयान काबिलेगौर है। उनका कहना है कि राजस्थान में बेकार पड़ी जमीन के १५ प्रतिशत हिस्से का ही अगर सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग कर लिया जाए तो सवा चार लाख मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इतना ही नहीं राजस्थान में १६००० मेगावाट तक पवन ऊर्जा का भी उत्पादन किया जा सकता है। हमारे पड़ोसी चीन ने इस दिशा में कदम बढ़ा भी दिया है और २०२० तक ३० गीगा वाट पवन विद्युत और १.८ गीगा वाट सौर विद्युत उत्पादन की योजना बनाई है। (१ गीगा वाट =१ अरब वाट) हम सभी जानते हैं कि चीन और भारत दो सबसे तेज गति से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाएं हैं और जाहिर सी बात है कि विकास की गति बनाये रखने में बिजली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। फ़िर भी भारत सरकार न जाने किस बात का इंतजार कर रही है? जबकि देश में पहले से ही १२ प्रतिशत बिजली की कमी है। कोई भी ऐसे देश में क्यों निवेश करेगा जहाँ २४ घन्टे में सिर्फ़ १४-१५ घन्टे बिजली रहती हो? दूसरे शब्दों में अगर हम कहें हो विकास-दर की यह दौर बिजली उत्पादन बढ़ाने की दौर भी है सरकार को यह भी ध्यान में रखना चाहिए।
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