शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009
अपने दामन में क्यों नहीं झांकते राहुल
कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी इन दिनों देशाटन पर निकले हुए हैं और विपक्षी दलों की सरकारों के खिलाफ जिस तरह बयान दे रहे हैं उससे उनकी अनुभवहीनता या बचपना ही झलकती है। पहली बात कि उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार पर नक्सालियों के खिलाफ विफल रहने का आरोप लगाया है। जबकि वहां की सरकार ने जिस तरह नक्सालियों के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई छेड़ रखी है वह अनूठी है और इसमें जनता के साथ-साथ विपक्ष कांग्रेस के नेता महेंद्र करमा भी सरकार को सहयोग कर रहे हैं। पड़ोसी आन्ध्र प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और नक्सली आज भी वहां बेलगाम हैं। झारखण्ड जहाँ की पवन धरती पर उन्होंने यह महान बयान दिया है उसकी दुर्गति किसी विपक्षी सरकार ने नहीं दी है। उसके लिए जिम्मेवार है कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी। भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए झारखण्ड में पहले तो सिद्धान्तहीन उदाहरण पेश करते हुए कांग्रेस ने एक निर्दलीय विधायक को मुख्यमंत्री बना दिया। हद तो यह है कि अब उसी मधु कोडा को जेल भेजने की तैयारी चल रही है। मानो कांग्रेस का इस संस्थागत लूट-पाट में कोई हाथ ही नहीं है। एक निर्दलीय अकेले तो सरकार नहीं बना सकता है ना! अगर कांग्रेस महासचिव चाहते हैं कि कहीं भी विपक्ष की सरकार नहीं रहे चाहे तो उनके सामने लुटे-पुटे झारखण्ड का फार्मूला है ही। लेकिन फ़िर सिद्धांतों की बातें उन्हें नहीं करनी चाहिए यह अनैतिक तो है ही आपराधिक भी है क्योंकि ये पब्लिक है जो सब जानती है।
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