शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009
फिलिपिन्स से सीख लें भारतीय नेता
यह आपको अटपटा भी लग सकता है कि मैं विश्वगुरु रह चुके भारत को एक छोटे से देश से सीख लेने की सलाह दे रहा हूँ। बात ही कुछ ऐसी है। कुछ ही दिनों के अन्तराल में भारत और फिलिपिन्स दोनों ही देशों में बाढ़ आयी है. अभी भी स्थितियां संतोषजनक नहीं हैं। दोनों देशों के नेताओं ने इस बाढ़ के दौरान क्या किया? फिलिपिन्स की राष्ट्रपति ग्लोरिया मकापगल ने जहाँ पीडितों के लिए अपने भव्य महल के द्वार खोल दिए। हजारों लोगों ने राष्ट्रपति भवन में शरण ली। वहीं हमारे देश के नेता जमीन पर आकर सीधे तौर पर पीडितों की पीडा में सहभागी बनने के बजाये बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के हवाई सर्वेक्षण में लगे रहे। वास्तव में इससे जाहिर होता है कि हमारे नेता पूरी तरह हवा-हवाई बनकर रह गए हैं। न तो उन्हें जनता की वास्तविक स्थिति का ज्ञान है और न ही वे जानना चाहते हैं। जब जनता यूँ हीं हवा में उड़ते रहने पड़ ही वोट दे देती है तो फ़िर क्यूं बेवजह परेशान हुआ जाए। इस तरह हम भी इन हवाई नेताओं को समर्थन देने के दोषी हैं। हम जब अपनी सोंच बदलेंगे तब हमारे ये नेतागण भी आसमान से उतरकर जमीन पर आने को बाध्य हो जायेंगे।
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1 टिप्पणी:
sorry bhaiya...hum jara late ho gaye reply bhejme me...magar ab nahi honge...aur apka blog bhi padhengen...is beech yaad karte rahne ke liye sukriya...apna bataeye...hum to mastari me kud pade hain...akhbaari se to achchha hi chal raha hai.
kumar hashvardhan
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